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दिल्ली हिंसा : इंसानियत के फरिश्ते ने बचाई 24 लोगों की जान

दिल्ली हिंसा : इंसानियत के फरिश्ते ने बचाई 24 लोगों की जान

दिल्ली हिंसा : इंसानियत के फरिश्ते ने बचाई 24 लोगों की जान
उत्तर-पूर्वी जिले में हिंसा की आग भड़की तो दोनों ही समुदायों के लोग एक-दूसरे को मारने को उतारू है। इनमें कुछ लोग इंसानियत के फरिश्ते बनकर सामने गए। करावल नगर में संजीव कुमार ने भी इसी धर्म को निभाकर एक मुस्लिम परिवार की न सिर्फ रक्षा की, बल्कि उन्हें सुरक्षित घर भी पहुंचवाया। पनाह में आई मुस्लिम परिवार की एक गर्भवती को प्रसव पीड़ा हुई तो वह उसे पहले डिस्पेंसरी और बाद में अस्पताल ले गए। वहां उसने एक बच्चे को जन्म दिया। 
संजीव का कहना है कि उन्होंने 24 लोगों की जान बचाकर अपना फर्ज निभाया। उन्होंने कहा कि वे परिवार के साथ करावल नगर के महालक्ष्मी एन्क्लेव, गली नंबर-4 में रहते हैं। उनका सदर बाजार इलाके में अपना कारोबार है। इनके पड़ोस में कई साल से मुजीबुर रहमान रहते हैं। संजीव के घर मंगलवार रात पहुंचे तो देखा कि पूरे इलाके में बवाल हो रहा था। कई घरों को आग लगा दी गई थी। 
इस बीच करीब 10:30 बजे उनके पड़ोसी मुजीबुर रहमान ने फोन कर बताया कि कुछ उपद्रवी उनके मकान में घुसने की कोशिश कर रहे हैं। संजीव फौरन वहां पहुंचे और मुजीबुर रहमान और उनके भाई नवाब खान मंसूरी के परिवार के 24 लोगों को निकाला। वे सभी को अपने घर ले आए और उनके रहने की व्यवस्था की। इस बीच, नवाब के बेटे फिरोज खान की पत्नी शबाना के प्रसव पीड़ा होने लगी। संजीव आधी रात को उसे लेकर एक डिस्पेंसरी पहुंचे। वहां उसे उसे रात को ही अलहिंद अस्पताल ले जाया गया। इस बीच, उसने एक बच्चे को जन्म दिया। अगले दिन संजीव ने पुलिस की मदद से मुजीबुर व उनके भाई के परिवार के सभी सदस्यों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया। संजीव का कहना है कि उन्होंने इंसानियत को बचाकर सिर्फ अपना धर्म निभाया है।

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