अब घातक बीमारी टीबी का पूरी तरह इलाज हो सकेगा। वैज्ञानिकों ने एक ऐसा तरीका खोज निकालने का दावा किया है। अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ नोट्रे डेम के शोधकर्ताओं के अनुसार ट्यूबरक्लोसिस से संक्रमित कोशिका से निकले एक्सट्रासेल्युलर वेसिकल्स (ईवी) से टीबी को हराया जा सकता है। इससे शरीर का प्रतिरक्षा तंत्र भी मजबूत होगा। कोई भी कोशिका नष्ट होते समय अपने बाहर वेसिकल्स या पुटिकाएं उत्सर्जित करती है, जिन्हें ईवी कहा जाता है। टीबी से संक्रमित कोशिका से निकले ईवी में माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस (टीबी फैलाने वाला बैक्टीरिया) का आरएनए पाया जाता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि इस बैक्टीरिया की कोशिका से निकले ईवी प्रतिरक्षा तंत्र में पाई जाने वाली श्वेत रक्त कोशिका ‘मैक्रोफेज’ की अपेक्षा संक्रमण को बेहतर तरीके से नियंत्रित कर सकते हैं। अध्ययन के अनुसार टीबी के उपचार के लिए यदि एंटीबायोटिक के साथ ईवी का इस्तेमाल हो तो बीमारी को जड़ से मिटाया जा सकता है। चूहों पर इसका परीक्षण सफल रहा है। टीबी यानी ट्यूबरक्लोसिस को कई नामों से जाना जाता है जैसे इस क्षय रोग, तपेदिक, राजयक्ष्मा, दण्डाणु इत्यादि नामों से भी जाना जाता है। टीबी एक संक्रामक बीमारी है और इससे ग्रसित व्यक्ति में शारीरिक कमजोरी आ जाती है और इसके साथ ही उसे कई गंभीर बीमारियां होने का भी खतरा रहता है। टीबी सिर्फ फेफड़ों का ही रोग नहीं है, बल्कि शरीर के अन्य हिस्सों को भी यह प्रभावित करता है। टीबी एक प्रकार के बैक्टेरिया से होता जो संक्रमण से फैलता है। यदि कोई टीबी पीड़ित व्यक्ति आप के आसपास थूकता है, खांसता है, छींकता है, हंसता है या गाना भी गाता है तो संभावना है कि सांस के माध्यम से आप भी टीबी संक्रमणित हो जाएं। लेकिन अगर पीड़ित व्यक्ति जो कम से कम दो सप्ताह से दवा सेवन कर रहा हो तो उससे इसके फैलने की संभावना कम हो जाती है। टीबी से बचना चाहते हैं तो, ज्यादा भीड़-भाड़ वाली जगहों पर जाने से भी बचना चाहिए। कम रोशनी वाली और गंदी जगहों पर नहीं रहना चाहिए और वहां जाने से भी परहेज करना चाहिए। हो सके तो टीबी के मरीजों के पास न जाएं, जाना जरूरी ही हो तो कम-से-कम एक मीटर की दूरी बनाकर रखें। टीबी के मरीज को हवादार और अच्छी रोशनी वाले कमरे में रहने की सलाह दी जाती है। कमरे में ताजा हवा आने दें और पंखा चलाकर खिड़कियां खोल दें, ताकि बैक्टीरिया बाहर निकल सके। टीबी से बचने के लिए अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यूनिटी) को बढ़िया रखें। न्यूट्रिशन से भरपूर खाना खासकर प्रोटीन डाइट (सोयाबीन, दालें, मछली, अंडा, पनीर आदि) भरपूर मात्रा में लें। अगर आपकी इम्युनिटी कमजोर है तो टीबी के बैक्टीरिया के एक्टिव होने की आशंका ज्यादा रहती है। असल में कई बार टीबी का बैक्टीरिया शरीर में तो होता है, लेकिन अच्छी रोग प्रतिरोधक क्षमता के कारण यह एक्टिव नहीं हो पाता और टीबी नहीं होती।