सजने लगी रंग और पिचकारियों की दुकानें
होली का त्योहार रंग और उल्लास से भरा होता है. इस त्योहार पर लोग जमकर होली खेलते हैं. एक दूसरे को रंगों से सराबोर कर देते हैं. मुंबई एवं इसके आस-पास के शहरों में होली को लेकर लोगों में उमंग हैं. खासकर स्कूली बच्चे तो जमकर होली खेलते हैं. साथ ही अक्सर महिलाएं भी खूब रंग खेलती हैं. आगामी मंगलवार १० मार्च को खुशियों और भाईचारे का पर्व होली मनाया जाएगा. इस पर्व पर लोग आपसी गिले-शिकवे भूलकर एक-दूसरे को रंग और गुलाल लगाकर बधाई देंगे. मुंबई, ठाणे समेत आस-पास के शहरों के बाजारों में रंग और पिचकारियों की दुकानें सजने लगी है और होली के रंगों, गुलाल और पिचकारियों से सजी दुकानों पर खरीददार भी जा रहे हैं. विभिन्न डिजाइनों की पिचकारियां खरीदने के लिये बच्चों में भारी उत्साह देखा जा रहा है. बाजारों में विभिन्न रंगों, गुलाल, डोरेमोन, मोटू पतलू, स्पाईडर मैन, छोटा भीम सहित चाइना मेड पिचकारियों से सजी दुकानों में बच्चों में विभिन्न तरह की डिजाइनदार पिचकारियों को खरीदने में भारी उत्साह है. केमिकल युक्त रंगों के इस्तेमाल के दुष्प्रभाव के प्रति ग्राहकों के जागरूक होने के कारण प्राकृतिक रंगों की मांग बढ़ गई है. गुलाबी, पीला, और हरे प्राकृतिक रंगों की ज्यादा मांग है। पिचकारियों के एक होलसेल विक्रेता ने बताया कि बच्चों में डोरेमोन, छोटा भीम की आकृति वाली पिचकारियों की मांग ज्यादा है. इसके साथ साथ बच्चों में डोरेमोन और छोटाभीम की आकृति में बने मॉस्क की भी खासी बिक्री हो रही है.उन्होंने बताया कि बाजार में विभिन्न डिजाइनों में उपलब्ध पिचकारियों की कीमत 10 रूपये से लेकर 1500 रुपये तक है लेकिन ज्यादा बिक्री 300 रुपये तक की पिचकारियों की हो रही है.इधर केमिकल युक्त रंगों के उपयोग से आंख,चेहरे और हाथों की त्वचा को सुरक्षित रखने के लिये चर्म रोग विशेषज्ञों ने ऐतिहात बरतने की हिदायत दी है। बाजार में उपलब्ध केमिकल युक्त रंगों के उपयोग से बचना चाहिए लेकिन अनजाने में यदि चेहरे शरीर के खुले स्थान पर लग जाये तो गुनगुने पानी से तुरंत धोना चाहिए। रंगों को सूखने नहीं देना चाहिए।
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सजने लगी रंग और पिचकारियों की दुकानें