आतंकवाद और अलगाववाद के खिलाफ कड़े कदम उठाते हुए केन्द्र की मोदी सरकार ने शुक्रवार को एक बड़े फैसले को अंजाम दिया। केंद्र सरकार ने अलगावादी नेता यासीन मलिक के संगठन जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) पर प्रतिबंध लगा दिया है। कैबिनेट की सुरक्षा समिति की बैठक में ये फैसला किया गया। सरकार ने आतंकवाद विरोधी कानून के तहत ये कार्रवाई की है। सरकार ने इस पर बैन लगाते हुए कहा है कि ये संगठन घाटी में 1988 से हिंसा में शामिल है। गृह सचिव के अनुसार, कश्मीरी पंडितों को घाटी से भगाने का मास्टर माइंड यासीन मलिक ही है। उसका संगठन कश्मीर में पत्थरबाजों को पैसे देता है और वह इसके लिए बड़े पैमाने पर फंडिंग करता है।
केंद्रीय गृह सचिव राजीव गौबा ने आगे बताया कि केंद्र सरकार ने शुक्रवार गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम 1967 के तहत जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट को गैरकानूनी असोसिएशन घोषित किया। यह कदम सरकार के द्वारा आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति के तहत उठाया गया। यासीन मलिक पर आरोप है कि 1994 से भारत विरोधी गतिविधियां चलाते थे। वह देश के पासपोर्ट पर पाकिस्तान जाते और वहां पर देश विरोधी गतिविधियों में लिप्त रहते थे। इससे पहले मोदी सरकार ने जमाते इस्लामी पर भी प्रतिबंध लगाया था। बैन लगाने के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में गृह सचिव ने कहा, जेकेएलएफ देश की सुरक्षा के लिए खतरा है। उन्होंने बताया कि संगठन को गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों के तहत प्रतिबंधित किया गया है। इसके प्रमुख यासीन मलिक गिरफ्तार हैं और फिलहाल वह जम्मू की कोट बलवल जेल में बंद हैं।
गृह सचिव ने आगे कहा कि यासीन मलिक के नेतृत्व वाले जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट ने घाटी में अलगाववादी विचारधारा को हवा दी और यह 1988 से हिंसा और अलगाववादी गतिविधियों में सबसे आगे रहा है। राजीव गौबा ने बताया कि जम्मू और कश्मीर पुलिस के द्वारा जेकेएलएफ के खिलाफ 37 एफआईआर दर्ज की गई हैं। सीबीआई ने भी दो केस दर्ज किए जिसमें से एक आईएएफ जवान की हत्या का मामला भी शामिल है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने भी एक केस दर्ज किया है, जिसकी जांच जारी है। इस दौरान उन्होंने यह भी कहा कि बड़ी संख्या में अलगाववादी नेताओं को स्टेट के द्वारा सुरक्षा मुहैया कराई गई थी। इसकी समीक्षा करने के बाद ऐसे कई लोगों की सिक्यॉरिटी वापस ले ली गई और समीक्षा की यह प्रक्रिया आगे भी जारी रहेगी। यासीन मलिक की गिनती उन अलगाववादी नेताओं में होती है, जो घाटी में भारत विरोधी गतिविधियों को हवा देते हैं. वह घाटी में तिरंगा के खिलाफ अभियान चलाते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यासीन मलिक जैसे नेताओं पर बहुत पहले बैन लगाया जाना चाहिए था लेकिन ये बहुत देर में हुआ है। यासीन मलिक को सरकार ने करोड़ों रुपए देकर पाला है।
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मोदी सरकार का अलगाववादियों पर बड़ा प्रहार यासीन मलिक के संगठन जेकेएलएफ पर लगाया बैन