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सिंधिया को नजरअंदाज कर एमपी की राजनीति संभव नहीं- शिवसेना

सिंधिया को नजरअंदाज कर एमपी की राजनीति संभव नहीं- शिवसेना

सिंधिया को नजरअंदाज कर एमपी की राजनीति संभव नहीं- शिवसेना
 मध्‍य प्रदेश में चल रहे सियासी घमासान के बीच महाराष्‍ट्र में शिवसेना ने अपनी सहयोगी पार्टी कांग्रेस पर निशाना साधा है. शिवसेना ने मध्‍य प्रदेश के सियासी संकट को लेकर तंज कसते हुए कहा, 'भगवान देता है और कर्म नाश कर देता है. यही हालत कांग्रेस पार्टी की हो गई है.' पार्टी के मुखपत्र 'सामना' में संपादकीय के जरिये शिवसेना ने कांग्रेस को आड़े हाथ लिया है. संपादकीय में लिखा, 'मध्‍य प्रदेश कांग्रेस में बगावत हो गई. कमलनाथ सरकार गिरती हुई दिख रही है. उसका कारण उनकी लापरवाही, अहंकार और नई पीढ़ी को कम आंकने की प्रवृत्ति है.' आगे लिखा गया है कि भगवान देता है और कर्म नाश कर देता है, यही हालत कांग्रेस पार्टी की हो गई है.  'मध्‍य प्रदेश कांग्रेस में बगावत हो गई है. कांग्रेस में फूट पड़ गई है. ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया के नेतृत्‍व में कांग्रेस के लगभग 22 विधायकों ने कांग्रेस से इस्‍तीफा दे दिया है. सिंधिया भाजपा में शामिल हो गए. इससे कमलनाथ की सरकार अल्‍पमत में आ गई है. कमलनाथ सरकार गिरती हुई दिख रही है, उसका कारण लापरवाही, अहंकार और नई पीढ़ी को कम आंकने की प्रवृत्ति है.' संपादकीय में आगे लिखा है कि मध्‍य प्रदेश में ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया को नजरअंदाज कर राजनीति नहीं की जा सकती है. 'सिंधिया का प्रभाव पूरे राज्‍य पर भले ही न हो, लेकिन ग्‍वालियर और गुना जैसे बड़े क्षेत्रों में 'सिंधियाशाही' का प्रभाव है. विधानसभा चुनाव से पहले ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया ही कांग्रेस की ओर से मुख्‍यमंत्री का चेहरा थे, लेकिन बाद में वरिष्‍ठों ने उन्‍हें एक ओर कर दिया और दिल्‍ली हाईकमान देखता रह गया. उस समय मध्‍य प्रदेश की स्थिति गुत्‍थम-गुत्‍था वाली जरूर थी, लेकिन लोकसभा चुनाव हारने वाले सिंधिया को 'कबाड़' में डालना कांग्रेस के लिए आसान नहीं था. इस असंतोष के कारण समय-समय पर चिंगारियां फूट रही थीं.' 

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