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क्या रामचंद्रन और जे.जयललिता की तरह मिलेगा कमल हासन-रजनीकांत को प्यार

 क्या रामचंद्रन और जे.जयललिता की तरह मिलेगा कमल हासन-रजनीकांत को प्यार

क्या रामचंद्रन और जे.जयललिता की तरह मिलेगा कमल हासन-रजनीकांत को प्यार 
 रजनीकांत ने तमिलनाडु में एक नई पार्टी की घोषण कर दी। इसके पहले कमल हासन की मक्कल निधि माइम की पार्टी पिछले लोकसभा चुनाव में किस्मत आजमा चुकी है। तमिलनाडु की धरती फिल्मी कलाकारों के प्रति बेपनाह मोहब्बत दर्शाती रही है। वह एमजी रामचंद्रन हों या फिर जे.जयललिता राज्य की जनता ने फिल्मों से हटकर सियासत में भी दोनों को अपने सर माथे पर बिठाया। इसके बाद अब यह सवाल खड़ा होता हैं कि क्या रजनीकांत और कमल हासन को भी तमिलनाडु की जनता सियासत की बादशाहत सौंपेगी? यह सवाल इसकारण भी लाजिमी है क्योंकि दोनों धाकड़ राजनीतिक शख्सियतों, जयललिता और करुणानिधि के निधन से प्रदेश में दमदार सियासी छवि के उभार का अवसर पैदा हुआ है। रजनीकांत ने भले ही राजनीतिक दल बनाने का ऐलान अभी किया हो, लेकिन अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा का प्रदर्शन 1996 में ही कर दिया था जब उन्होंने एक चुनावी सभा में जयललिता की आलोचना की थी। तब से वह अपने बयानों और गतिविधियों से अपने फैन को मानसिक तौर पर इस बात के लिए तैयार करते रहे हैं कि एक दिन उनकी पॉलिटिकल पार्टी आएगी। अब जब जयललिता और करुणानिधि, दोनों नहीं हैं, इससे अच्छा मौका और क्या हो सकता है?
कमल हासन ने शिवाजी गणेशन की तरह फिल्मों में ऐसी भूमिकाओं को प्राथमिकता दी जो उन्हें श्रेष्ठ कलाकार की पंक्ति में ला खड़ा करे। वहीं, रजनीकांत ने एमजी रामचंद्रन की तरह वैसी भूमिकाओं को पसंद किया जिनसे उनकी छवि आमजन के संरक्षक की बने। संभव है कि शुरू-शुरू में रजनीकांत को ऐसी भूमिकाएं अनचाहे मिली हों, लेकिन जब उन्हें इन भूमिकाओं का आमलोगों पर असर दिखा तो वह इस आकर्षण में बंध गए और फिर जानबूझकर ऐसी भूमिकाएं ही चुनने लगे। तमिलनाडु में दोनों को चाहने वालों की बड़ी संख्या है। रजनीकांत के लिए कई फैन जान तक दे सकते हैं, हालांकि कमल हासन का भी फैन बेस कमजोर नहीं है। 
वहीं राजनीतिक पंडित का कहना है कि दोनों ही अभिनेता राजनीति को पार्ट टाइम जॉब की तरह ले रहे हैं जबकि एमजीआर ने कड़ी मेहनत करते हुए राजनीति में कदम रखा था और सफलता मिलने तक दिलोजान से लगे रहे थे। एमजीआर ने 25 वर्षों की मेहनत से एक मजबूत सांगठनिक आधार तैयार किया था जबकि रजनीकांत और हासन की मंशा ऐसी नहीं दिख रही है। एमजीआर की सियासी दूरदर्शिता के कई किस्से मशहूर हैं। उन्हें जानने वाले याद करते हैं कि कैसे उनसे मिलने जाने वाले कभी उनके घर से मायूस नहीं लौटते थे। एक बार एमजीआर की नजर जब बारिश में भीगते हुए रिक्शा चला रहे एक व्यक्ति पर पड़ी तो उन्होंने 5 हजार रिक्शा चालकों में रेनकोट बांट दिया। वहीं, रजनीकांत अपने चाहने वालों के लिए सुलभ नहीं होते हैं। वह फैन्स से बचने के लिए अपना जन्मदिन भी अपने घर से दूर मनाते हैं। हां, पिछले दो सालों से उनका फैन्स के साथ मेल-मिलाप थोड़ जरूर बढ़ा है।

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