राज्य महिला आयोग का पुनर्गठन नहीं होने से महिलाओं की शिकायतें नहीं सुनी जा रही है।महिला आयोग का छठवां कार्यकाल समाप्त होने चुका है, लेकिन अब तक आयोग का पुनर्गठन नहीं हुआ है। प्रदेश के कई जिलों से यहां महिलाएं शिकायत लेकर आती हैं, लेकिन निराश होकर लौट जाती हैं। राज्य सरकार अब तक आयोग के अध्यक्ष व सदस्यों के नाम तय नहीं कर पाई है। इससे करीब 15 दिन से आयोग बिना अध्यक्ष व सदस्यों के है, जबकि हर दिन आयोग में करीब 25 से 30 महिला प्रताड़ना से संबंधित प्रकरण आ रहे हैं। इससे आयोग में पेंडेंसी बढ़ती जा रही है। ज्ञात हो कि महिला आयोग में 7 हजार केस पेंडिंग हैं। ऐसा माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव के बाद ही आयोग का पुनर्गठन होगा। छठवें आयोग के अध्यक्ष, सदस्यों व विधि अधिकारी को करीब 8 माह का मानदेय नहीं मिला।
विधि अधिकारी ने बताया कि कई बार आयोग की अध्यक्ष व सदस्य इस संबंध में मांग कर चुके हैं, लेकिन एक साल बीतने के बाद भी मानदेय नहीं मिला। महिला आयोग की बेंच छह सदस्यीय होती है। इसमें एक अध्यक्ष और पांच सदस्य होते हैं। अभी तक अध्यक्ष व सदस्यों के नाम तय नहीं हो पाए हैं। जिस कारण सुनवाई नहीं हो पा रही है। पीड़ित महिलाएं आयोग में आवेदन देकर चली जाती हैं। जबकि, आयोग में कई गंभीर मामले भी आते हैं, जिन पर तुरंत कार्रवाई की आवश्यकता होती है। वहीं, ई-मेल से आने वाली शिकायतों को भी कोई देखने वाला नहीं है। इस बार में राज्य महिला आयोग के सदस्य सचिव अक्षय श्रीवास्तव का कहना है कि आयोग में हर रोज 25 से 30 मामलों के आवेदन आ रहे हैं। हर रोज कई पी़िड़त महिलाएं अपनी समस्या लेकर आ रही हैं।
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महिलाओं की शिकायतें सुनने वाला कोई नहीं राज्य महिला आयोग के पास करीब 7 हजार केस पेंडिंग