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अप्रैल से रियल एस्टेट प्रोजेक्ट के दामों में हो सकता है इजाफा पांच प्रतिशत से अधिक दर से बढ़ेगी कीमत

 अप्रैल से रियल एस्टेट प्रोजेक्ट के दामों में हो सकता है इजाफा  पांच प्रतिशत से अधिक दर से बढ़ेगी कीमत

 शहर में 1 अप्रैल से रियल एस्टेट प्रोजेक्ट के दामों में इजाफा हो सकता है। बीते दिनों रियल एस्टेट सेक्टर में जीएसटी काउसिंल की 33 वीं बैठक हुई थी, तब कमर्शियल हाउसिंग को लेकर सरकार ने इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) खत्म कर दिया था। रियल एस्टेट डेवलपर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (क्रेडाई) का मानना है कि कराधान के नियमों में विसंगतियों के कारण रियल एस्टेट बाजार में पांच प्रतिशत से अधिक दर से कीमत बढ़ेगी। क्रेडाई के पदाधिकारियों ने बताया कि अब तक कर्मशियल प्रोजेक्ट में 12 प्रतिशत टैक्स पर बिल्डर को छूट मिल रही थी। पहले आईटीसी रिबेट मिलती थी। लिहाजा प्रोजेक्ट की लागत कम 5 से 8 प्रतिशत लागत में कमी आती थी। लेकिन रिबेट (छूट) खत्म करने के कारण प्रोजेक्ट की लागत बढ़ जाएगी। मतलब बिल्डर पर पांच प्रतिशत का अतिरिक्त भार पड़ेगा। निर्माणाधीन मकानों पर 12 प्रतिशत जीएसटी से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया गया है। निर्माणाधीन प्रोजेक्ट में खरीदी को गति देने के लिए यह निर्णय लिया गया। रियल एस्टेट कारोबारियों का मानना है कि कंपलीशन सर्टिफिकेट नियम के कारण इससे बाजार में बहुत ज्यादा असर नहीं पड़ेगा। 
    प्रदेश में रियल एस्टेट प्रोजेक्ट में अमूमन खरीदार कम्पलीशन सर्टिफिकेट प्राप्त प्रोजेक्ट में ही निवेश करता है। इसके पीछे का कारण यह है कि नगरीय निकायों जिस प्रोजेक्ट को यह सर्टिफिकेट जारी किया जाता है उस पर जीएसटी नहीं लगता। शहर के कमर्शियल रियल एस्टेट प्रोजेक्ट में करीब 30 लाख रुपए से ड्यूप्लेक्स की कीमत होती है। साथ ही 2-बीएचके फ्लैट्स की लगभग 15 लाख शुरूआती कीमत है। अप्रैल में कीमतों में 5 प्रतिशत इजाफा होने के कारण ड्यूप्लेक्स पर डेढ़ लाख रुपए व 75 हजार रुपए का अतिरिक्त भार खरीदारों को भुगतना होगा। शहर में नगर निगम, बीडीए व हाउसिंग बोर्ड जैसी संस्था आवास निर्माण का काम करती है। इसमें अफोर्डेबल हाउसिंग स्कीम के प्रोजेक्ट में लोगों को फायदा होगा। बैठक में 8 प्रतिशत घटाकर 1 प्रतिशत जीएसटी का निर्णय लिया गया। लिहाजा खरीदारों को सात प्रतिशत कम जीएसटी चुना होगा। मतलब 10 लाख रुपए कीमत के फ्लैट में 80 हजार रुपए के स्थान पर सिर्फ 10 हजार देना होगा। इस बारे में क्रेडाई के सचिव व प्रवक्ता मनोज मीक का कहना है कि कराधान में खासी जटिलता है। नीतियां भी स्पष्ट नहीं है। रियल एस्टेट सेक्टर की हालत सुधारने के लिए जरूरत है, वहां निर्णय ऐसे लिए गए है कि प्रोजेक्ट और मंहगे होंगे। आईटीसी रिबेट खत्म होने से प्रोजेक्ट की लागत बढ़ना तय है।

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