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निर्भया के गांव बलिया में जश्न का माहौल, बांटी गई मिठाइयां

निर्भया के गांव बलिया में जश्न का माहौल, बांटी गई मिठाइयां

निर्भया के गांव बलिया में जश्न का माहौल, बांटी गई मिठाइयां
दिल्ली तिहाड़ जेल में निर्भया के 4 दरिंदों मुकेश सिंह (32), पवन गुप्ता (25), विनय शर्मा (26) और अक्षय कुमार सिंह (31) को शुक्रवार तड़के 5.30 बजे फांसी दी गई। 7 सालों से निर्भया के परिजन के साथ पूरा देश न्याय का इंतजार कर रहा था। ये गांव जिला मुख्यालय से 45 किमी दूर है। सुबह करीब ५.00 बजे जब हम निर्भया के गांव पहुंचे तो सड़कों पर सन्नाटा पसरा है। इक्का-दुक्का लोग ही दिखाई दे रहे हैं। निर्भया के गांव के युवको का कहना है कि कि इस दिन का इंतजार निर्भया के गांव को ही नहीं बल्कि पूरे बलिया और पूरे देश को था। मालूम हो कि दिसंबर 2012 के बाद से आसपास के इलाकों में यह गांव निर्भया के गांव के नाम से जाना जाता है। 16 दिसंबर को इस गांव की बेटी निर्भया के साथ दिल्ली में दरिंदगी हुई थी। दरिंदों को फांसी दिए जाने से पूरे गांव में जश्न का माहौल है।
दोषियों को फांसी होने के बाद निर्भया के दादा मोहन सिंह का कहना है कि आज भारत से सबसे बड़ा कोरोना खत्म हो गया। निर्भया के चाचा सुरेश सिंह का कहना है कि काली रात कटने के बाद आज नया सवेरा शुरू हुआ। आज का दिन हमारे लिए होली और दिवाली है। हम कई सालों से इस दिन का इंतजार कर रहे थे। अब कलेजे को ठंडक पहुंची है। उन्होंने कहा कि निर्भया के पिता शादी के बाद ही करीब 25 से 27 साल पहले दिल्ली शिफ्ट हो गए। वहां वह कुकर बनाने की कंपनी में पहले काम करते थे। उनके सभी बच्चे दिल्ली ही रहते हैं। निर्भया आखिरी बार जब 16-17 साल की थी, तब गांव आई थी। बिटिया को इंसाफ मिलने में बहुत देरी हुई। कोर्ट के फैसले पर खुशी तो है, लेकिन हैदराबाद में जिस तरह पुलिस ने काम किया, वैसा हो तो ज्यादा खुशी होती। निर्भया के चचेरे दादा शिवमोहन कहते हैं कि न्याय मिलने में देरी हुई है। इसलिए देश में दरिंदो की संख्या बढ़ गई है। तुरंत इंसाफ मिलना चाहिए। चाची भाग्यमणि का कहना है कि 7 साल से इस दिन का इंतजार कर रहे थे।

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