808 साल में पहली बार लंबे समय के लिए बंद हुई अजमेर दरगाह
- भीलवाड़ा में अचानक सामने आए कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या के बाद लिया फैसला
कोरोना वायरस की वजह से अजमेर की विश्वप्रसिद्ध ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती (गरीब नवाज) की दरगाह को उसके 808 साल के इतिहास में पहली बार एक लंबे समय के लिए जायरिनों के लिए बंद कर दिया गया है। शुक्रवार देर रात दरगाह को एसपी कुंवर राष्ट्रदीप की अगुवाई में पूरी तरह से खाली करवा दिया गया है। राजस्थान सरकार ने यह फैसला शुक्रवार दोपहर भीलवाड़ा में एकाएक सामने आए कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या के बाद लिया। शुक्रवार को भीलवाड़ा में कर्फ्यू लगाए जाने के बाद शाम को अजमेर में जिला प्रशासन ने आपात बैठक बुलाकर दरगाह में सुरक्षा बंदोबस्तों की समीक्षा की। बैठक में अंजुमन पदाधिकारियों सहित दरगाह दीवान के प्रतिनिधि और दरगाह कमेटी के अफसर मौजूद रहे! दरगाह में बड़ी संख्या में जायरीन की संख्या को देखते हुए कलक्टर विश्वमोहन शर्मा ने राज्य सरकार से मिले निर्देशों के बाद गरीब नवाज की दरगाह को 31 मार्च तक के लिए जायरीनों के वास्ते बंद करने का फैसला लिया। इस दौरान दरगाह में निभाई जाने वाली धार्मिक रस्मों के लिए सीमित संख्या में खादिमों को दरगाह में जाने की अनुमति दी गई है। फैसला आने के तुरंत बाद पुलिस भी हरकत में आ गई। पहले से लागू धारा 144 का हवाला देते हुए खुद एसपी कुंवर राष्ट्रदीप दरगाह पहुंचे और जायरीन को दरगाह से निकालने का काम तेजी से शुरू हुआ। शाम साढ़े 5 बजे से शुरू हुई यह कसरत रात करीब 9 बजे पूरी हुई। हाल ही में ख्वाजा गरीब नवाज का 808वां उर्स सम्पन्न हुआ है। इसमें दुनियाभर से लाखों जायरीन दरगाह में अपनी अकीदत को लेकर पहुंचे थे।
रीजनल नार्थ
808 साल में पहली बार लंबे समय के लिए बंद हुई अजमेर दरगाह