ग्वालियर संभाग से बनेगा मुख्यमंत्री?
- सिंधिया का नाम भी चर्चाओं में
मध्यप्रदेश में बदले राजनीतिक घटनाक्रम के बाद अगले कुछ दिनों में भाजपा की सरकार बनेगी। भाजपा से सीएम कौन बनेगा, इसे लेकर कयासों का दौर जारी है। मुख्यमंत्री बनने की रेस में शिवराज सिंह चौहान सबसे आगे हैं। मगर केंद्रीय नेतृत्व से मिले संकेतों के अनुसार केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को भी मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है। हालांकि, अभी यह कयासबाजी है, मगर प्रदेश के जिस तरह के राजनीतिक हालात हैं, उनमें अगले कुछ माह में करीब 2 दर्जन सीटों पर उपचुनाव होने हैं। इन सीटों को जीतकर भाजपा स्थाई सरकार बनाने की प्रयास करेगी। सबसे बड़ी बात यह है कि लगभग डेढ़ दर्जन सीटें ग्वालियर-चंबल संभाग की हैं। नरेन्द्र सिंह तोमर एवं सिंधिया दोनों इसी क्षेत्र से आते हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया म.प्र. के मुख्यमंत्री बनना चाहते थे। वह कांग्रेस में मुख्यमंत्री नहीं बन पाए। भाजपा में वह किन शर्तों के साथ गए हैं, यह स्पष्ट नहीं है। सिंधिया के समर्थन में उनके सभी विधयकों ने स्तीफा दिया है। ऐसा भी कहा जा रहा है कि वह भी मुख्यमंत्री पद के दावेदार हो सकते हैं। ग्वालियर-चंबल संभाग सिंधिया राजघराने का प्रभाव क्षेत्र है। ऐसी स्थिति में भाजपा उपचुनाव में सीटें जिताने की जिम्मेदारी ज्योतिरादित्य सिंधिया पर डाल सकती है।
अब तक ग्वालियर-चंबल संभाग से कोई सीएम नहीं
मध्यप्रदेश में अब तक ग्वालियर-चंबल संभाग से कोई भी नेता मुख्यमंत्री नहीं बन पाया है। एक समय माधवराव सिंधिया का नाम सीएम बनने की रेस में सबसे आगे था, मगर वे चूक गए। कहा जाता है कि बाबरी विध्वंस के बाद प्रदेश में 1993 में चुनाव हुए थे। इन चुनावों में कांग्रेस को जीत मिली थी और सीएम की रेस के प्रबल दावेदार माधवराव सिंधिया माने जा रहे थे। ग्वालियर राजघराने के महाराज माधवराव सिंधिया को मुख्यमंत्री बनने की तैयारी थी। उस दौरान अर्जुन सिंह ने कई और नामों पर विचार करने का प्रस्ताव रखा। विधायक दल की बैठक में किसी भी नाम पर आम सहमति नहीं बन पाई। ऐसे में दिग्विजय सिंह नाम सामने आया और उन्हें ही मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया गया था।
ज्योतिरादित्य के हाथ से भी फिसली कुर्सी
2018 के विधानसभा चुनावों के परिणाम कांग्रेस के पक्ष में आए। कांग्रेस ने 15 साल बाद सत्ता में वापसी की। कांग्रेस को इन चुनावों में 114 सीटें मिलीं। प्रदेश में कांग्रेस की सत्ता आने के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया और कमलनाथ का नाम सीएम पद की रेस में सबसे आगे था। मगर ज्योतिरादित्य सिंधिया की जगह कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ को मुख्यमंत्री घोषित किया गया।
ग्वालियर-चंबल संभाग में मजबूती जरूरी
2018 के चुनाव परिणाम देखें तो भाजपा के लिए सत्ता से दूरी इसी क्षेत्र में बनी थी। यहां कांगे्रस ने बेहतर प्रदर्शन किया था। अब इस क्षेत्र में डेढ़ दर्जन सीटों पर उपचुनाव कराया जाना है, तो भाजपा यही चाहेगी कि उसे वहां ज्यादा से ज्यादा सीटें मिलें। यह तभी हो पाएगा, जब इसी क्षेत्र कोई नेता सीएम बने। इसीलिए माना जा रहा है कि भाजपा तोमर या सिंधिया को भी सीएम बना सकती है।
शिवराज से नाराजगी
ग्वालियर-चंबल संभाग में शिवराज को लेकर लोगों में नाराजगी है। 2018 में चुनाव से पहले शिवराज ने आरक्षण को लेकर जो बयान दिया था, उससे भाजपा को भारी नुकसान उठाना पड़ गया था। इसलिए उपचुनाव को देखते हुए भाजपा कोई रिस्क लेने के मूड में नहीं है।