(प्रयागराज) कोरोना का असर संगम तट सूना, पुरोहिता और नवाविकों की रोजी रोटी पर संकट
जानलेवा कोरोना वायरस का असर अब लोगों की आस्था पर भी पडऩे लगा है। कोरोना के कारण लोगों ने तीर्थ स्थलों की यात्राएं काफी कम कर दी हैं। प्रयागराज इसका जीता जागता उदाहरण है, जहां आम दिनों में श्रद्धालुओं की भीड़ से गुलजार रहने वाले संगम के घाटों पर इन दिनों पूरी तरह सन्नाटा पसरा रहता है। श्रद्धालुओं की संख्या घटने से संगम पर नाव चलाने वाले नाविकों यानी मल्लाहों को आर्थिक दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
बता दें कि प्रयागराज का संगम कुछ दिन पहले तक श्रद्धालुओं की भीड़ से आबाद रहता था। संगम के घाटों पर आस्थावान लोगों की भीड़ से रौनक बनी रहती थी, अब गंगा यमुना और अदृश्य सरस्वती की त्रिवेणी पर पहले जैसी चहल-पहल नजऱ नहीं आ रही है। पिछले दो हफ्ते में संगम आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या 85 फीसदी तक कम हो गई है। सबसे ज़्यादा असर दक्षिण समेत दूसरे राज्यों से आने वाले श्रद्धालुओं पर पड़ा है।
संगम पर आम दिनों में रोज़ाना 30 से 40 हजार श्रद्धालु आते थे, इन लोगों से पुरोहिता और नवाविकों का जीवन चलता था। परन्तु कोरोना वायरस के चलते अब घाटों परइक्का-दुक्का लोग ही नजऱ आते हैं।श्रद्धालु की संख्या घटने से संगम पर नाव चलाने वाले नाविकों यानी मल्लाहों को आर्थिक दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। दूसरी ओर, तीर्थ पुरोहितों के तख्त भी सूने नजऱ आ रहे हैं। पुरोहितों और नाविकों के सामने घोर संकट खड़ा हो गया है। वहीं जो श्रद्धालु यहां आते हैं, वह साफ बताते हैं कि उनके साथ आने वाले तमाम लोगों ने कोरोना की वजह से यहां की अपनी यात्रा को टाल दिया है। जिस वजह से श्रद्धालुओं की संख्या में गिरावट का असर संगम और आस पास के इलाकों में रोज़गार करने वालों पर भी रोजी रोटी का संकट पड़ गया है। उन लोगों ने सरकार से सहयोग की मांग की है।
रीजनल नार्थ
(प्रयागराज) कोरोना का असर संगम तट सूना, पुरोहिता और नवाविकों की रोजी रोटी पर संकट