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कांग्रेस का सॉफ्ट हिंदुत्व व राम नाम लेने से बचती भाजपा

कांग्रेस का सॉफ्ट हिंदुत्व व राम नाम लेने से बचती भाजपा

यह तो सभी जानते हैं कि भाजपा किसी भी कीमत पर इस लोकसभा चुनाव में राम मंदिर मामले को चुनावी मुद्दा बनने नहीं देना चाहती है। इसलिए लगातार सीमा पार की बातें की जा रही हैं और बताया जा रहा है कि यहां कांग्रेस अगर जीतेगी तो पाकिस्तान में मिठाईयां बांटी जाएंगी। इसके साथ ही सीमा पर जारी सीजफायर उल्लंघन और आतंकवादी गतिविधियों को जवानों द्वारा दिए जा रहे मुंह तोड़ जवाब की चर्चा मीडिया के जरिए खूब हो रही है, ताकि लोग मंदिर मामले को उठाने की सोच भी न पाएं। दरअसल जैसे ही राम मंदिर का जिक्र आता है वैसे ही लोगों को पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा और उसके अनुवांशिक संगठनों के वादे भी याद हो आते हैं। आखिर कैसे भुलाया जा सकता है कि केंद्र और राज्य में भाजपा सरकार में होते हुए भी मंदिर मामले को लेकर एक कदम भी आगे नहीं बढ़ाया गया। सभी पक्ष इस मसले को हल करने के लिए मादी सरकार से गुहार लगाते रहे, लेकिन किंचित असर नहीं हुआ। संभवत: यही कारण है कि अब वो जिम्मेदारी से बचते हुए आमजन से इस मामले में मुंह छिपाने जैसा काम करती दिख रही है। कांग्रेस है कि लगातार उसे इस बात की याद दिलाने की कोशिश करती नजर आ रही है कि भगवान राम के नाम पर किस कदर देश के बहुसंख्यकों को छला गया है। यही वजह है कि भारतीय जनता पार्टी और उसके अनुवांशिक संगठन मौजूदा लोकसभा चुनाव में अयोध्या राम मंदिर का नाम भी लेना मुनासिब नहीं समझ रहे हैं। अब बात या तो आय से अधिक संपत्ति एकत्र करने की होती है या फिर चौकीदार बनने और बनाने को लेकर होती है। कोई कुछ इसलिए भी नहीं कह सकता क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ से पहले ही कहा जा चुका है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ही कुछ किया जा सकेगा। अब चूंकि अदालत ने भी आपसी रजामंदी के जरिए मामले को निपटाने की गाइडलाइन दे दी है तो फिर इसे चुनावी मामला बनाना उचित भी नहीं है। इसलिए शिवसेना ने भी इसे ठंडे बस्ते में डालने जैसा काम कर दिखाया। यही नहीं बल्कि अपनी सहयोगी भाजपानीत केंद्र सरकार को सदा कोसने वाली शिवसेना ने महाराष्ट्र में एक बार फिर भाजपा के साथ गठबंधन कर आमचुनाव लड़ने का ऐलान भी कर दिया। बहरहाल राम मंदिर मामले का नाम लिए बगैर ही कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने जो कदम उठाया है उससे खुद व खुद लोगों की जुबान पर 'भगवान राम' का नाम आ गया है। दरअसल खबर है कि प्रधानमंत्री मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को बड़ी चुनौती देने प्रियंका गांधी रेल और सड़क मार्ग के जरिए अयोध्या की यात्रा करने पहुंच रही हैं। इसे देखते हुए उनके स्वागत में पार्टी कार्यकर्ता और नेताओं समेत समर्थकों ने नगर में जो पोस्टर लगाए हैं उसमें भगवान श्रीराम की मनमोहक तस्वीर के साथ ही साथ श्री राम चालीसा की चौपाई, यथा-  ''श्री रघुवीर भक्त हितकारी। सुन लीजै प्रभु अरज हमारी॥ निशिदिन ध्यान धरै जो कोई। ता सम भक्त और नहिं होई॥'' को भी प्रमुखता से उध्दृत किया गया है। इस प्रकार न चाहते हुए भी कांग्रेस ने तो मानों राम पर संग्राम छेड़कर भाजपा और उनके सहयोगियों को चुनौती दे दी है। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी का उत्तर प्रदेश में यह दूसरा चुनावी दौरा होगा जो कि अयोध्या में होने जा रहा है। वैसे भी प्रियंका ने प्रयागराज से वाराणसी तक बोट से यात्रा करके खुद को गंगा किनारे वाली छोरी का तमगा तो ले ही लिया और उसी के साथ गंगा मैया से आशीर्वाद लेने की बातें भी खूब हुईं, जिसे देखते हुए विरोधियों ने उनके धर्म और आस्था पर भी चोट करने से गुरेज नहीं किया था। अब जबकि प्रियंका रेल और सड़क मार्ग के जरिए अयोध्या की यात्रा करेंगी तो तय है कि 'भगवान राम' के जयकारे भी लगेंगे ही लगेंगे और लोगों को इसी के साथ असली और नकली भक्तों की भी सुध हो आएगी। इससे एक तरफ जहां सीधे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने ही घर में घिरते नजर आएंगे तो वहीं दूसरी तरफ प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह समेत संघ के लिए बड़ी चुनौती खड़ी हो जाएगी। इसके जवाब में भाजपा एक बार फिर कांग्रेस नेताओं को जेल भेजे जाने और जमानत पर चुनाव प्रचार करने जैसे जुमले यदि इस्तेमाल करती दिख जाए तो हैरानी नहीं होगी। बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी के बाद भगवान राम की नगरी अयोध्या में तो माता सीता के साथ श्री राम जी की ही बात होगी। दरअसल यह कांग्रेस का सॉफ्ट हिंदुत्व वाला कार्ड है जो कि भाजपा के हार्ड हिंदुत्व के जवाब में लाया गया है। सॉफ्ट हिंदुत्व और नफरत के खिलाफ आपसी भाईचारे का संदेश तो कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने संसद में प्रधानमंत्री मोदी को गले लगाकर ही दे दिया था। अब वह अभियान इस लोकसभा चुनाव में अपने चरम पर पहुंच गया है। देश में इसे पसंद भी किया जा रहा है। इस कारण भी भाजपा और उसके अनुवांशिक संगठन धर्म और आस्था के साथ ही साथ राम मंदिर निर्माण की बात करने से बच रहे हैं। 
 

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