देशभर में कोरोना वायरस के मद्देनजर 14 अप्रैल तक लॉकडाउन लागू हो चुका है। साथ ही चैत्र नवरात्र शुरू हो चुके हैं, लेकिन इस बार लॉकडाउन की वजह से मंदिरों में लोग नहीं जुट पाए और मंदिरों में सन्नाटा पसरा रहा। पहली बार कालकाजी मंदिर से मां के भक्त नवरात्र की जोत नहीं ले जा सके। हालांकि, नवरात्र के अवसर पर विधिपूर्वक भोग, श्रृंगार और आरती का आयोजन किया गया। कालकाजी मंदिर के महंत स्वामी सुरेंद्रनाथ अवधूत के अनुसार, नवरात्रों के समय मंदिर से जोत ले जाकर अपने घरों पर जोत जलाकर व्रत रखने की परंपरा सदियों पुरानी है। सुबह कुछ लोग जोत लेने के लिए आए थे, लेकिन वह मंदिर में प्रवेश नहीं कर सके। पहली बार ऐसा हुआ है। महंत के अनुसार यह मंदिर महाभारत कालीन है। उपलब्ध साक्ष्यों के अनुसार, मंदिर में पांडवों ने भी पूजा की थी। तब से अभी तक ऐसा कोई भी साक्ष्य नहीं है कि मंदिर को इस तरह से भक्तों के लिए बंद रखा गया हो। ग्रहण के समय भी मंदिर को भक्तों के लिए खोला गया है। यह ऐतिहासिक बंदी है।
- श्रृंगार की बुकिंग रद्द
झंडेवालान मंदिर में भी बुधवार से नवरात्र का उत्सव शुरू हो गया। मां की आरती के साथ भोग और श्रृंगार मंदिर कमेटी की तरफ से किया गया है, लेकिन इस बार आम लोगों को मंदिर पर प्रवेश नहीं मिल पाएगा। मंदिर कमेटी ने 14 अप्रैल तक मंदिर में प्रवेश पर रोक लगा दी है। वहीं नवरात्र के अवसर पर लोगों की तरफ से मां के श्रृंगार को लेकर की गई बुकिंग भी मंदिर कमेटी ने रद्द कर दी है। मंदिर कमेटी ने भक्तों से झंडेवाली देवी मंदिर यूट्यूब पेज के माध्यम से दोनों समय की आरती में शामिल होने की अपील की है। छतरपुर मंदिर में भक्तों के लिए गेट बंद कोरोना वायरस से बचाव के लिए एहतियान लॉकडाउन के साथ ही दिल्ली के प्रमुख देवी मंदिर छतरपुर मंदिर में भी नवरात्र का उत्सव शुरू हो गया है।
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कोरोना: पहली बार कालकाजी मंदिर से नवरात्र जोत नहीं ले जा सके भक्त