प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट की आर्थिक मामलों की समिति की बैठक में रेल मंत्रालय के अलीगढ़-हरदुआगंज फ्लाईओवर का निर्माण कार्य शुरू किए जाने को अपनी मंजूरी दे दी है। 22 किलोमीटर लंबी इस रेलवे फ्लाईओवर के निर्माण में 1285 करोड़ रुपये खर्च होंगे। निर्माण कार्य पांच वर्षों में पूरा कर लिया जाएगा। अलीगढ़ जंक्शन स्टेशन पर एक ब्रांच रेल लाइन बरेली-अलीगढ़ समाप्त होती है। हावड़ा की ओर से आने वाली और हरदुआगंज/बरेली जाने वाली ट्रेनें हावड़ा-नई दिल्ली मुख्य मार्ग से गुजरती हैं, जो भारतीय रेलवे का सबसे व्यस्त खंड है। भारी यातायात के कारण हावड़ा की ओर से आने वाली और हरदुआगंज-बरेली जाने वाली लोडेड मालगाड़ियों को सतह पार करने के लिए कोई रास्ता उपलब्ध नहीं होता है। इससे अलीगढ़ जंक्शन पर ट्रेनों को काफी देर तक रुकना पड़ जाता है। यह स्थान एक अवरोध बन गया है और ट्रेनों के परिचालन को बुरी तरह से प्रभावित कर रहा है जिससे देरी होती है तथा ट्रेनों को काफी देर तक रुकना पड़ता है। यही नहीं, इस वजह से वैगन पर माल चढ़ाना एवं उतारना भी कम होता जा रहा है। अलीगढ़ में फ्लाईओवर का मौजूदा दिल्ली-हावड़ा मुख्य लाइन के ऊपर से गुजरना एक परिचालन अनिवार्यता है। साथ ही यह यातायात में अवरोध को दूर करने के लिए भी आवश्यक है। अलीगढ़ को हरदुआगंज से जोड़ने वाले इस फ्लाईओवर के बन जाने से ट्रेनों के परिचालन में देरी और उनके लंबे ठहराव से बचा जा सकेगा। यह फ्लाईओवर रेलवे लाइन के ऊपर बनेगा इसकी कुल लंबाई 22 किलोमीटर होगी। इसके लिए 1285 करोड़ का प्रावधान किया गया है। इसके निर्माण की समय सीमा 2024-2025 रखी गई है। अलीगढ़-हरदुआ गंज उत्तर प्रदेश के सबसे ज्यादा व्यस्त रहने वाले रेलवे रुट में से एक है। इसके अलावा अलीगढ़ के ब्रास उद्योग के लिए यह फ्लाईओवर संजीवनी बनेगा। अभी कनेक्टीविटी भी इससे प्रभावित होती है। लिहाजा पुल बन जाने से इस मार्ग पर सफर भी आसान होगा।
रीजनल नार्थ
5 साल में बनकर तैयार होगा अलीगढ़-हरदुआगंज फ्लाईओवर