उत्तर पूर्वी दिल्ली में हाल ही हुए दंगों में जलाए गए एक घर का है। 35 साल के अंसार मलिक उत्तर पूर्वी दिल्ली के मुस्तफाबाद में अपने घर में इस उम्मीद से वापस लौटे हैं कि वे इसे फिर से रहने लायक बना लेंगे और यह घर उनके 11 सदस्यीय परिवार के रहने के लिए फिर से मुफीद होगा। अंसार का परिवार अभी तक मुस्तफाबाद इलाके में ईदगाह के पास बने राहत शिविर में रह रहा था, लेकिन वहां रह रहे सैकड़ों लोगों को कोरोना के प्रकोप के चलते वहां से हटना पड़ा है। अभी तक मुस्तफाबाद इलाके में ईदगाह के पास बने राहत शिविर में रह रहा था, लेकिन वहां रह रहे सैकड़ों लोगों को कोरोना के प्रकोप के चलते वहां से हटना पड़ा है।
तमाम लोगों को बेघर कर देने वाले इस दंगे के निशान अभी मिटे नहीं थे कि अब कोरोना वायरस का प्रकोप उन्हें दोहरा कष्ट पहुंचा रहा है। उनके घरों में दम घोंट देने वाली जलने की गंध अब भी ताजा है और घर उनके लिए एक दु:स्वप्न सा हो गया है। वायरस नाम की महामारी फैलने के चलते लॉकडाउन के बीच दंगा पीड़ित लोग अपने घरों में वापस आने के लिए मजबूर हैं और उनके जले हुए घर की हालत ने उनके दिमाग में घर कर गए खौफनाक दंगों का घाव ताजा किया है। पिछले महीने दिल्ली में सांप्रदायिक दंगे हुए थे, जिसमें 50 से अधिक लोग मारे गए थे और कई लोग बेघर हो गए थे। बाद में बेघर लोगों के लिए राहत शिविर की व्यवस्था की थी। अंसार मलिक जैसे कई लोग इन घरों में वापस जाने को मजबूर हैं क्योंकि कोरोनो वायरस के प्रकोप के बीच राहत शिविर को बंद किया है।
रीजनल नार्थ
कोरोना: महामारी के कारण दोहरी मार झेल रहे दिल्ली के दंगा पीड़ित