बड़ी संख्या में भारतवासी विटामिन डी की कमी से पीड़ित हैं। इसके दो प्रमुख कारण हैं। पहला- पहनावा और दूसरा- सिटिंग जॉब। शरीर को धूप का फायदा मिले, इसके लिए शरीर के एक तिहाई हिस्से का धूप में एक्सपोजर जरूरी होता है। लेकिन प्रचलित भारतीय पहनावे में शरीर का अधिकांश हिस्सा ढका रहता है जिस वजह से शरीर को जरूरी धूप और धूप से मिलने वाली विटामिन डी नहीं मिल पाती। इसके अलावा इन दिनों सिटिंग जॉब का प्रचलन बढ़ गया है। लोग एसी कार में ऑफिस आते हैं। दिन भर एसी केबिन में बैठे-बैठे काम करते हैं और शाम को घर चले जाते हैं। इस लाइफ स्टाइल में उन्हें धूप में निकलने का मौका ही नहीं मिलता। धूप के फायदों को लेकर सबसे प्रचलित तथ्य यही है कि इसमें विटामिन डी होता है जो हड्डियों व जोड़ों की मजबूती और विकास के लिए जरूरी है। इससे रिकेट्स और ऑस्टियोमलेशिया जैसी बीमारियों से बचाव होता है। लेकिन पिछले कुछ सालों में हुए नए शोधों में यह बात सामने आई है कि धूप, हड्डियों व जोड़ों के अलावा अन्य अंगों के विकास के लिए भी जरूरी है। धूप की रोशनी हमें कई बीमारियों से बचाती है। हर दिन उचित मात्रा में धूप लेने से मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य बेहतर रहता है, डिप्रेशन दूर होता है। लिहाजा, गर्मियों में भी सुबह के वक्त थोड़ी देर धूप जरूर लेनी चाहिए। जिस दिन तापमान बहुत अधिक हो, उस दिन धूप में निकलने से बचना चाहिए क्योंकि इससे सनबर्न से लेकर स्किन कैंसर जैसी समस्याएं हो सकती हैं। लू लगने का भी खतरा रहता है। सुबह का वक्त धूप लेने के लिए सबसे सही माना जाता है। रोजाना 15-20 मिनट तक धूप लेना पर्याप्त होता है। इससे ज्यादा एक्सपोजर होने पर त्वचा को नुकसान भी पहुंच सकता है।
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भारत के लोग विटामिन डी की कमी से पीड़ित -धूप से मिलने वाले विटामिन डी से नहीं हो सकती कमी