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 योगी सरकार मजदूरों की घरवापसी के ‎लिए रही बस  -मामला लॉकडाउन में फंसे मजदूरों का 

 योगी सरकार मजदूरों की घरवापसी के ‎लिए रही बस  -मामला लॉकडाउन में फंसे मजदूरों का 

 दिल्ली-एनसीआर में फंसे प्रवासी मजदूरों को उनके घर पहुंचाने के लिए उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार विशेष बसें चलाने जा रही है1 इसकी भनक लगते ही आनंद विहार बस अड्डे पर बेहाल लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। कोरोना के कारण घोषित लॉकडाउन में फंसे दिल्ली, राजस्थान और हरियाणा आदि से यूपी और बिहार जाने वाले मजदूरों को उनके घरों तक पहुंचाने के लिए शुक्रवार को यूपी रोडवेज ने 16 घंटों के दौरान 86 बसें चलाईं। बस क्या था, मजदूरों में इन बसों तक पहुंचने की होड़ मच गई। फिर सोशल डिस्टैंसिंग की तो धज्जियां उड़ गईं। आखिरकार, विशेष बस सेवा को रोक दिया गया। बस की खबर मिलते सुबह से ही मजदूर दिल्ली-एनसीआर के अलग-अलग इलाकों से घंटों पैदल चलकर आनंद विहार टर्मिनल पहुंचने लगे, इस आस में कि उन्हें भी बस में जगह मिल जाएगी। वहीं, कई ऐसे लोग भी हैं जो अब भी किसी पर भरोसा नहीं कर रहे और घर के लिए पैदल निकल पड़े हैं। 
उधर, गाजियाबाद के लाल कुआं स्थित बस अड्डे पर भी प्रवासी मजदूरों की ऐसा ही हुजूम देखने को मिला। यहां हजारों मजदूर दिल्ली, गुरुग्राम समेत अन्य जगहों से पैदल चलकर यहां पहुंचे ताकि बस पकड़कर अपने-अपने घर वापस जा सकें। राष्ट्रीय राजमार्ग 24 पर ऐसा ही एक परिवार मिला जो उत्तर प्रदेश के बदायूं जा रहा था। परिवार का मुखिया अपनी पत्नी और बच्चों को बिठाया, सामान रखे और रिक्शा खींचते हुए निकल पड़े 440 किमी की दूरी तय करने। उन्होंने बताया कि बदांयू 400 किमी है और वहां से भी उनका गांव 40 किमी दूर है। उनसे पूछा गया कि क्या बच्चों ने खाना खाया तो बोले, 'खाना कहां से खाएंगे, पैसे ही नहीं हैं।' उन्होंने कहा कि घर से निकले थे तो कुछ पूड़ियां बनाकर रख ली थीं, वो खत्म हो गईं। पॉकेट में 10-50 रुपये पड़े हैं, उनसे बिस्किट, नमकीन खिला दूंगा। पैदल चल रहे इस शख्स ने बताया कि मकान मालिक किराये के लिए तंग कर रहा है, सामान महंगे होते जा रहे हैं, रोजगार बचा नहीं तो यहां रहेंगे कैसे? उन्होंने बताया कि होली के बाद गांव से आए तब से कुछ दिन कमाई हुई, लेकिन इतनी नहीं कि कुछ बचा लेते। 
अब जब संकट आया है तो घर लौटने के सिवा कोई चारा नहीं बचा है। बस अड्डे पर जमात में खड़े कुछ मजदूरों ने भी लगभग यही दर्द बयां किया। हर किसी ने कहा कि मकान मालिक किराया मांग रहा है, कहां से दें? सबकी पीड़ा यही है कि जिस मकान मालिक को अपनी कमाई का बड़ा हिस्सा हर महीने देते हैं, वो इस भीषण संकट में ऐसे बदल गया जिसकी कल्पना नहीं की जा सकती है। उनसे जब कहा गया कि सरकार ने तो खाने-पीने की व्यवस्था की है तो बोल फिर बोल पड़े- रहेंगे कहां? गौरतलब है कि 24 मार्च को देशव्यापी लॉकडाउन घोषित होने के बाद से देशभर में कारोबारी गतिविधियां रुक गईं। दिल्ली-एनसीआर के भी तमाम प्रतिष्ठान बंद पड़े हैं। यहां बिहार, यूपी, बंगाल से आए ज्यादातर लोग छोटी-छोटी नौकरियां करते हैं या फिर रेहड़ी-पटरी पर अपना छोटा-छोटा रोजगार चलाते हैं। एक बड़ी संख्या रिक्शा और ऑटो चालकों की भी है। लॉकडाउन के बाद इन सबके सामने भुखमरी की समस्या पैदा हो चुकी है। ऐसे में इनमें किसी तरह घर पहुंचने की होड़ मची है। चूंकि लॉकडाउन में उड़ानों से लेकर ट्रेनें और रोड ट्रांसपोर्ट, सब बंद पड़े हैं, ऐसे में पैदल चलने के सिवा कोई चारा नहीं बचा है।
 

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