21 दिन का लॉकडाउन जैसे तो महामारी कोरोना वायरस से बचाने के लिए है, लेकिन कुछ लोगों के लिए लॉकडाउन मरने के वजह बन गया। लॉकडाउन के खौफ में अपने घर के लिए निकले 13 लोगों की अलग-अलग हादसों में मौत हो गई। एक मजदूर 200 किलोमीटर पैदल चलने के बाद मरा| वहीं 12 लोग ऐक्सिडेंट का शिकार होकर मरे। लॉकडाउन की वजह से सभी राज्यों के सीमा सील हैं। उत्तर पश्चिमी और पश्चिमी भारत के लगभग हर राज्य के सीमा पर संख्या में लोगों की भीड़ थी। वे कामगार थे. जो किसी दूसरे राज्य से आकर काम कर रहे थे काम बंद होने के बाद अपने घर जाना चाहते थे। ज्यादातर लोग उत्तर प्रदेश, बिहार और बंगाल प्रदेश के थे। इन लोगों में बेरोजगारी से खौफ था और सरकार के वादों पर भी भरोसा नहीं था, उनके खाने, रहने की व्यवस्था नहीं की गई । ऐसे में कुछ लोग गाड़ियों, कुछ रिक्शों तो कुछ पैदल ही सैंकड़ों किलोमीटर के सफर पर निकल पड़े| दिल्ली-एनसीआर वालों ने आनंद विहार, लाल कुआं बस अड्डे की तस्वीरें देखी । ऐसा ही हाल बाकी राज्यों का है। आंध्र प्रदेश-कर्नाटक, आंध्र प्रदेश-तेलंगाना सीमा, आंध्र प्रदेश-तमिलनाडु और तेलंगाना-महाराष्ट्र के बॉर्डर पर हजारों की संख्या में लोग मौजूद हैं ।
हैदराबाद में एक भयंकर हादसा हुआ। इसमें 8 मजदूरों की जान गई, ये लोग कर्नाटक से लौटकर आए थे। इसमें एक 3 साल का बच्चा भी शामिल था। पुलिस यह जवाब नहीं दे पा रही कि
लॉकडाउन के बावजूद हैदराबाद पहुंचे कैसे। दिल्ली से मप्र (मुरैना) के लिए निकले एक व्यक्ति ने चलते-चलते ही जान गंवा बैठा था
। रनवीर दिल्ली में डिलिवरी ब्वॉय थे। 200 किलोमीटर पैदल-पैदल चल चुके थे। 80 किलोमीटर का सफर और बाकी था कि उन्हें दिल का दौरा पड़ा और वहीं मौत हो गई। रो-रोकर परिवार का बुरा हाल है। उन्होंने बताया कि 35 साल का रनवीर आते हुए भूखा, प्यासा और डरा हुआ था। एक दूसरा हादसा मुंबई-अहमदाबाद हाइवे पर हुआ। वहां चार लोगों की मौत हो गई, तीन घायल हैं। ये सभी लोग पैदल-पैदल घर जा रहे थे| रास्ते में ट्रक ने उन्हें टक्कर मार दी।
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लॉकडाउन: में एक दर्जन लोगों की मौत -कोई पैदल चलते-चलते मरा, 12 ने ऐक्सिडेंट में गंवाई जान