देश में कोरोना महामारी के चलते रियल एस्टेट सेक्टर पर संकट के बादल और गहराने के आसार हैं। मौजूदा दौर में 15.5 लाख यूनिटों का कामकाज लॉकडाउन के चलते रुका हुआ है। शहरों से मजदूरों के पलायन के चलते फंसे और हाल ही में लॉन्च हुए प्रोजेक्ट में 6 महीने से लेकर 1 साल तक की देरी की आशंका जताई है। एनारॉक प्रॉपर्टी कंसल्टेंट्स के आंकड़ों के मुताबिक देश के सात बड़े शहरों में 15.62 लाख यूनिटों पर काम चल रहा था जो देशव्यापी लॉकडाउन से बिल्कुल बंद है। ये बन रहे वो घर हैं जिन्हें 2013 से 2019 के आखिर के बीच लॉन्च किया था। रिपोर्ट के मुताबिक कुल फंसे हुए घरों में सबसे ज्यादा बुरे हालात दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और मुंबई में हैं। इन इलाकों में कुल 57 फीसदी यानी 8.90 लाख यूनिटों में काम रुका हुआ है।
कंपनी के डायरेक्टर रिसर्च प्रशांत ठाकुर का कहना है कि लॉकडाउन के चलते न सिर्फ इन इलाकों में निर्माण रुका हुआ है बल्कि डेवलपर्स की आर्थिक हालात भी बिगड़ती जा रही है। सरकार को एक बार महामारी खत्म होने के बाद सरकार को पूरे सेक्टर की मुश्किलों की समीक्षा करनी चाहिए। प्रॉपर्टी विशेषज्ञों ने कहा कि अगले 6 महीनों में पूरी तरह से मजदूरों की वापसी होने के साथ ही बिल्डरों के लिए ताजा आर्थिक हालात में फंड जुटाना भी एक समस्या ही है। ऐसे में उनकी तरफ से भी देरी होगी। कुल मिलाकर प्रोजेक्ट की डिलिवरी में 1 साल का समय और लगेगा। ऐसे में डेवलपर्स को सरकार की ओर से रियायत देने की मांग बढ़ रही है।
रीजनल नार्थ
रिपोर्ट: अब 1 साल की देरी से मिलेगी नए घर की चाबी, 15.5 लाख यूनिट पर असर