एक तरफ अस्पतालों में डॉक्टर्स कोरोना के खिलाफ जंग लड़ रहे हैं तो दूसरी तरफ सड़कों पर पुलिस के जवान यह सुनिश्चित करने में लगे हुए हैं कि लोग लॉकडाउन को गंभीरता से लें। इसके साथ ही वे बेसहारा लोगों तक खाना पहुंचाने, लोगों की चेकिंग करने, पलायन रोकने और कोरोना के संदिग्धों पर निगरानी रखने का काम भी कर रहे हैं। ड्यूटी के साथ उनके मन में भी कोरोना का खौफ जरूर है। उनके परिवार भी फिक्रमंद हैं। पुलिसवालों को एक तरफ जहां कोरोना के संक्रमण की चिंता सता रही है तो दूसरी तरफ दूरदराज के इलाकों या एनसीआर से आने वाले पुलिसवालों को एक अलग तरह की परेशानी झेलनी पड़ रही है। बस और ट्रेन सेवाओं के बंद होने से ऐसे पुलिसवालों को ड्यूटी पर आने में भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
रोज स्क्रीनिंग की मांग
ईस्ट दिल्ली में तैनात एक पुलिसकर्मी ने बताया कि उन्हें लगातार ड्यूटी करनी पड़ रही है और बीच में एक-दो घंटे के लिए ही घर जाने का मौका मिल पा रहा है। परिवार को बचाने के लिए घर के अंदर नहीं जाते, बल्कि बाहर ही कुर्सी लगाकर बैठ जाते हैं। वहीं पर खाना खाकर लौट आते हैं। उनका कहना था कि हम लोग दिन भर फील्ड में रहते हैं और तमाम तरह के लोगों से मिलते-जुलते हैं। पता नहीं ऐसे में कब किसकी वजह से हम संक्रमित हो जाएं और हमारी वजह से फिर हमारे परिवार वाले भी उसकी चपेट में आ जाएं। सेंट्रल रेंज के एक पुलिसकर्मी ने बताया कि ड्यूटी से घर जाने के बाद वह आजकल अपने कपड़े खुद ही धोते हैं। उनके मन में डर है। कुछ पुलिसकर्मियों को इस बात भी शिकायत थी कि इतने कठिन समय में ड्यूटी पर तैनात रहने के बावजूद डिपार्टमेंट उनकी सेहत का ख्याल नहीं रख रहा और उनके रेगुलर चेकअप की कोई व्यवस्था नहीं की गई है। उनकी मांग थी कि उनकी भी रोज स्क्रीनिंग होनी चाहिए। अच्छे मास्क, सैनिटाइजर और ग्लव्ज मुहैया कराने का सुझाव भी कुछ पुलिसकर्मियों ने दिया है।
रीजनल नार्थ
पुलिस के जवान कर रहे 15 घंटे की ड्यूटी 10 दिन से नहीं गए घर