
मोदी सरकार के कोरोना को हराने के कमिटमेंट पर पूरे देश की राज्य सरकारें लक्षित कदम रख रही है पर राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार ने जिस प्रकार लॉकडाउन के चलते आम आदमी को प्रशासन की राहत राहत मुहैया करवाई जा रही है और भ्रमित खबरों पर लगाम लगाने का काम किया है जिसका परिणाम है कि राजस्थान में कोरोना पॉजीटिव की संख्या 83 जरूर हुई है पर स्थिति पूरी तरह सरकार और प्रशासन के इंतजामों के अधीन है।
सोशल मीडिया के भ्रामक प्रचार प्रसार ने कोरोना अतिघातक है ऐसा डर देश दुनिया में हो रहे कोरोना के प्रचार प्रसार के पहले प्रयास ने आम आदमी को इतना डरा दिया है....लगने लगा है कि अगर कोरोना की जद्द में आ गए तो सीधे मौत ही आखिरी मंजिल होगी। यही वो सोच आम आदमी के दिलो दिमाग में घर कर गया है। जो कोरोना मरीजो को अपनी पहचान छुपाने के लिए प्रेरित करती है जयपुर आगरा बाईपास रोड पर दौसा जिले के एक अस्पताल में भर्ती 10 मरीजों ने अस्पताल से भागने का साहस किया पर पुलिस ने इन सभी को पकड़ लिया और उन्हें दुबारा अस्पताल में भर्ती करा दिया। मै कोरोना पीडित तो नहीं हूं यह डर लॉकडाउन में हर व्यक्ति के दिल में बैठ गया। सरकार जान बचाने के हर जोखिम उठाकर जतन में लगी है अपने आप को दिन रात व्यवस्थाओं में जोखे हुए है मेरी राय में अगर सरकार सोशल मीडिया पर अगर कोरोना के सम्बंध में फैलाई जा रही भ्रामक मौत देने वाले संदेशो पर पाबंदी लगाये और सरकार द्वारा कोरोना का मरीज 100 प्रतिशत ठीक होता है ऐसी खुश खबरें भी प्रसारित करवाई जायें तो हो सकता है कोरोना से पीडित मरीज स्वत: आगे भी आयेगा और आमजन के दिलो दिमाग में बैठा कोरोना सीधा मौत देता है का डर दूर भी होगा।