यूको बैंक द्वारा रुपया-रियाल व्यापार समझौता जारी रहने के बाद भारतीय चाय कंपनियों को ईरान के साथ व्यापार बढऩे की उम्मीद नजर आ रही है। निर्यातकों को उम्मीद है कि इस वर्ष ईरानी चाय बाजार में 15-20 प्रतिशत से अधिक का इजाफा होगा। 2018 में भारत के इस दूसरे सबसे महत्त्वपूर्ण चाय बाजार ईरान को चाय निर्यात में मात्रा के हिसाब से करीब 3.5 प्रतिशत तक का ही इजाफा हुआ। हालांकि भारतीय उत्पादकों और आपूर्तिकर्ताओं ने इस कम वृद्धि को लेकर यह तर्क दिया कि इस प्रमुख तेल उत्पादक देश पर अमेरिकी प्रतिबंधों को देखते हुए रुपया-रियाल व्यापार समझौता जारी रहने के संबंध में अनिश्चितता थी। इसके साथ ही ईरान के राजकोष में डॉलर की कमी होने की आशंका से इस बात को लेकर भी अनिश्चितता थी कि सारा भुगतान समय पर हो पाएगा या नहीं।
इसके बारे में भारतीय चाय संघ (आईटीए) के चेयरमैन विवेक गोयनका ने कहा कि हालांकि अब स्थिति स्पष्ट है और भुगतान यूको बैंक संभाल रहा है। इसके बाद बाजार के रूप में भी इस साल ईरान में 15-20 प्रतिशत की वृद्धि होगी। आईटीए के साथ-साथ ईरान को निर्यात करने वालों ने कहा कि 2016-17 के दौरान चाय निर्यात 74 प्रतिशत से अधिक बढ़कर 2.957 करोड़ किलोग्राम हो गया। भारतीय चाय बोर्ड के आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि भारत को ईरान के साथ व्यापार करने के लिए अमेरिका से छूट मिलने के बाद इस साल जनवरी में इस देश को किया जाने वाला निर्यात 109 प्रतिशत से अधिक बढ़कर 59 लाख किलोग्राम हो गया। 2011-12 के दौरान अमेरिकी प्रशासन द्वारा ईरान पर लगाए गए व्यापार प्रतिबंधों के बाद भारत और ईरान की सरकारों ने अपने व्यापार के लिए रुपया-रियाल भुगतान प्रणाली की शुरुआत की थी। इसके तहत ईरान के तेल की 45 प्रतिशत तक की खरीद का भुगतान रुपये में किया जा सकता था। इसमें चाय, चावल, दवाएं और ऐसी जिंस शामिल थीं जिन पर संयुक्त राष्ट्र का प्रतिबंध नहीं था। भारत और ईरान के बीच 10.6 अरब डॉलर के व्यापार में प्रमुख रूप से ईरान से आयात किया जाने वाला तेल शामिल रहता है जिसका योगदान आठ अरब डॉलर रहता है। भारत ईरान को मुख्य रूप से चाय और बासमती चावल का निर्यात करता है जिसका मूल्य 2.6 अरब डॉलर रहता है।
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ईरान को चाय निर्यात में दिख रही ताजगी, बढ़ी उम्मीद