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फ्लू और वायरल से होने वाली मौत हादसा नहीं : सुप्रीम कोर्ट

फ्लू और वायरल से होने वाली मौत हादसा नहीं : सुप्रीम कोर्ट

सर्वोच्च न्यायालय के सामने एक अनोखा सवाल आया कि क्या मच्छर के काटने के बाद मलेरिया से हुई मौत को दुर्घटना माना जाए और ऐक्सिडेंटल इंश्योरेंस पॉलिसी का लाभ दिया जाए? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि फ्लू, वायरल के कारण होने वाली मौत का मामला एक्सिडेंट नहीं है। मच्छर से मलेरिया बीमारी होना भी चांस की बात है। इन्सेक्ट काटने से होने वाली बीमारी प्राकृतिक है और यह कोई हादसा नहीं है। 
मलेरिया सामान्य तौर पर मच्छर के काटने से लोगों में फैलता है। वायरस के कारण भी यह बीमारी फैलती है। यह रोजाना के जीवन में होता है। इसे आकस्मिक और अप्रत्याशित हादसा नहीं कहा जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मौजूदा मामले में जिस शख्स का बीमा हुआ था, उसकी मौत मोजांबिक में मलेरिया से हुई थी। इस देश में हर तीसरा शख्स मलेरिया की चपेट में आता है और इस तरह मलेरिया बीमारी को हम एक्सिडेंटल नहीं मान सकते। नेशनल कंज्यूमर फोरम ने मच्छर काटने से मलेरिया के कारण हुई मौत को ऐक्सिडेंट की श्रेणी में रखते हुए इंश्योरेंस कंपनी को क्लेम का भुगतान करने को कहा था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कंज्यूमर फोरम के फैसले को पलट दिया। जिला उपभोक्ता अदालत, राज्य उपभोक्ता अदालत और नेशनल कंज्यूमर फोरम ने अपने फैसले में कहा था कि मच्छर काटने से हुए मलेरिया के कारण हुई मौत एक्सिडेंट की श्रेणी में आएगी। इस फैसले को बीमा कंपनी ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। 
सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच के सामने यह अनोखा सवाल था कि क्या मच्छर काटने से मलेरिया के कारण हुई मौत का मामला ऐक्सिडेंट से हुई मौत माना जाए? दरअसल देवाशीष भट्टाचार्य नामक शख्स ने सरकारी बैंक से 16 जून 2011 को होम लोन लिया था। उनकी 19105 रुपए की 113 किश्त बनी थी। उन्होंने लोन सुरक्षा बीमा कराया। इंश्योरेंस कंपनी से नॉन लाइफ प्रॉडक्ट लिया था इसके तहत भूकंप, आग के साथ-साथ पर्सनल एक्सिडेंट को कवर किया गया था। इंश्योरेंस लेने वाले शख्स की पोस्टिंग असम में थी फिर वहां से वह मोजांबिक चले गए। वहीं उन्हें मच्छर ने काटा और मलेरिया से उनकी 22 जनवरी 2012 को मौत हो गई। 
उसके घर वालों ने जिला उपभोक्ता अदालत बारासात (पश्चिम बंगाल) में अर्जी लगाकर अपना दावा पेश किया और कहा कि पॉलिसी के तहत बाकी किश्तों का भुगतान इंश्योरेंस कंपनी करे। इंश्योरेंस कंपनी ने दावा किया कि इंश्योरेंस कवरेज में एक्सिडेंट से मौत कवर है, मच्छर काटने से मलेरिया के कारण हुई मौत कवर नहीं है। जिला उपभोक्ता अदालत ने कहा कि बीमा कंपनी बाकी की किस्त का पेमेंट करे।
इस फैसले को बीमा कंपनी ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोई आदमी फ्लू और वायरल से सफर करे तो वह एक्सिडेंट नहीं है। यह मैटर ऑफ चांस है। मच्छर से मलेरिया होना भी मैटर ऑफ चांस है। इंसेक्ट (कीड़ा ) काटने से बीमारी नेचुरल है। इसे एक्सिडेंट नहीं कहा जा सकता है। नेचरल कोर्स में बीमारी फैलना और मौत ऐक्सिडेंट नहीं है। मौजूदा केस में मौत मलेरिया से हुई है। यहां दलील दी गई कि मच्छर काटने से मलेरिया हुआ और मौत हुई यह एक्सिडेंट है, लेकिन हम इस दलील से सहमत नहीं हैं। मोजांबिक में यह मौत हुई है। डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट कहती है कि वहां हर तीसरे शख्स को यह बीमारी होती है, ऐसी स्थिति में हम मलेरिया बीमारी को एक्सिडेंट नहीं मान सकते। ऐसे में नेशनल कंज्यूमर फोरम का फैसला खारिज किया जाता है। अदालत ने हालांकि कहा कि जो किश्त इंश्योरेंस कंपनी भुगतान कर चुकी है, उसकी रिकवरी न की जाए। 

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