शहरी आबादी को ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वालों की तुलना में 3 गुना ज्यादा दिल का दौरा पड़ता है। इसकी वजह गलत लाइफस्टाइल, जरूरत से ज्यादा स्ट्रेस और व्यस्त दिनचर्या को बताया जा रहा है। चिंता की बात तो यह है कि ज्यादातर मौतें उन लोगों की हो रही हैं, जिन्हें पहले से ही पता रहता है कि उन्हें हृदय रोग है। दवाएं लेने में लापरवाही कर वे न चाहते हुए भी मौत को बुलावा देते हैं। विशेषज्ञों की माने तो 'दिल की बीमारियों में कोरोनरी धमनी रोग, दिल का दौरा, एरिदमियास, दिल की विफलता, हृदय के वॉल्व में खराबी, जन्मजात हृदय रोग और कार्डियोमायोपैथी शामिल हैं, जो सबसे आम हैं। शहरी आबादी को दिल का दौरा अधिक पड़ने की सबसे बड़ी वजह यह है कि उनके पास शारीरिक गतिविधि के लिए बहुत कम या बिल्कुल भी समय नहीं है। हाल के दिनों में ऐसे लोग भी बढ़े हैं जो स्वस्थ तो दिखते हैं, लेकिन उनमें कार्डिएक अरेस्ट, स्ट्रोक और उच्च रक्तचाप के लक्षण मौजूद रहते हैं। इनके जीवन में इनमें से कोई भी बीमारी कभी भी विकसित होकर जिंदगी को जोखिम में डाल सकती है।' विशेषज्ञों के अनुसार देश में हृदय रोग से होने वाली 80 से 90 प्रतिशत समय पूर्व मौतों की नियमित स्क्रीनिंग, समय पर चिकित्सा और उचित रोग प्रबंधन से रोका जा सकता है। दिल की समस्याओं को बढ़ने से रोकने के लिए स्वस्थ जीवनशैली को अपनाना और इसे बनाए रखने की जरूरत है और इसकी शुरुआत जितनी जल्दी हो उतना अच्छा है। महिलाओं को विशेष रूप से अतिरिक्त ध्यान देने की जरूरत होती है, क्योंकि उनके लक्षण पुरुषों से काफी हद तक अलग होते हैं।