YUV News Logo
YuvNews
Open in the YuvNews app
OPEN

फ़्लैश न्यूज़

नेशन

भाजपा में टिकट बंटवारे के चलते कानपुर से बेंगलुरु तक फैला असंतोष

भाजपा में टिकट बंटवारे के चलते कानपुर से बेंगलुरु तक फैला असंतोष

लोकसभा टिकटों के बंटवारे में भाजपा की ओर से भले ही युवाओं को इस बार तवज्जो दी जा रही है, लेकिन यह पार्टी के भीतर कहीं न कहीं असंतोष का कारण भी बन रहा है। इस बार कई राज्यों में पार्टी ने पुराने दिग्गज नेताओं की बजाय युवा चेहरों पर दांव लगाया है। लालकृष्ण आडवाणी का गांधीनगर सीट से टिकट कटने के बाद कानपुर से दिग्गज नेता और पूर्व अध्यक्ष मुरली मनोहर जोशी को भी चुनावी मैदान से बाहर का रास्ता  ‎दिखा दिया गया है। उनके स्थान पर विधायक और यूपी सरकार के मंत्री सत्यदेव पचौरी को उतारा गया है। हालांकि जोशी मैदान से चुपचाप नहीं हटे और पार्टी के फैसले पर एक तरह से गुस्सा जा‎हिर करते  हुए कानपुर के वोटरों के नाम चिट्ठी जारी कर दी। उन्होंने कहा कि पार्टी के संगठन महामंत्री रामलाल ने मुझे कानपुर या अन्य किसी भी संसदीय क्षेत्र से चुनाव न लड़ने को कहा है। यही नहीं बेंगलुरु और पटना में भी उम्मीदवारों के ऐलान को लेकर पार्टी के एक धड़े में गुस्सा देखा गया।
जोशी का टिकट कटने पर सीनियर लीडर सुब्रमण्यन स्वामी ने कहा, यह दुखद ट्रेंड है।' बेंगलुरु में भी टिकट बंटवारे को लेकर असंतोष की स्थिति बन रही है। भाजपा ने दक्षिण बेंगलुरु सीट पर पूर्व केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार की पत्नी तेजस्विनी की बजाय 28 साल के युवा तेजस्वी सूर्या को मैदान में उतारा है। इसके चलते इस सीट पर भी बगावत के आसार नजर आ रहे हैं। स्थानीय नेताओं का एक धड़ा इस फैसले को हजम नहीं कर पा रहा है। यहां तक कि प्रदेश यूनिट ने भी तेजस्विनी के नाम की सिफारिश की थी। हालांकि तेजस्विनी ने स्वयं कहा कि टिकट मेरे और समर्थकों के लिए झटके की तरह है, लेकिन हम अलग तरह की पार्टी हैं। पटना में केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद पहुंचे तो हवाई अड्डे पर ही टिकट की दावेदारी जता रहे आर।के सिन्हा के समर्थकों ने उनका विरोध किया। उन्हें काले झंडे तक दिखाए गए, हालांकि पार्टी का कहना है कि यह ऐसे व्यक्ति का काम है, जो भाजपा से निकाला जा चुका है। यही नहीं आर के सिन्हा ने पार्टी की जीत के लिए काम करने का वादा किया है।
कई उम्मीदवार की सीटों की भी अदला-बदली की गई है। इनमें बड़ा नाम हैं केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह और मेनका गांधी। गिरिराज सिंह को बिहार की नवादा सीट की बजाय बेगूसराय भेजा गया है। इसे लेकर उन्होंने खुलेआम नाराजगी जाहिर की है। इसके अलावा मोदी सरकार में महिला एवं बाल कल्याण मंत्री मेनका गांधी को पीलीभीत की बजाय सुल्तानपुर सीट से चुनाव लड़ाया जा रहा है। उनके बेटे वरुण को अब सुल्तानपुर की बजाय उनकी ही सीट पर उतारा गया है। पूर्व मंत्री रामशंकर कठेरिया को भी आगारा की बजाय इटावा भेज दिया गया है। वरिष्ठ नेताओं को चुनावी जंग से बाहर करने को लेकर उठ रहे सवालों पर पार्टी नेताओं का कहना है कि यह सैद्धांतिक फैसला है कि बुजुर्गों को नई पीढ़ी के लिए स्थान बनाना चाहिए। पार्टी ने आडवाणी या जोशी ही नहीं बल्कि शांता कुमार, बीसी खंडूरी, करिया मुंडा, कलराज मिश्र, बिजॉय चक्रवर्ती जैसे कई नेताओं को चुनाव नहीं लड़ाने का फैसला लिया है, जो 80 साल के पार हैं। 
लोकसभा की स्पीकर और इंदौर से लगातार जीतती रहीं सुमित्रा महाजन के टिकट पर भी सस्पेंस बना हुआ है। उनकी आयु 76 साल है और वह काफी सक्रिय हैं। हालांकि पार्टी ने जिस तरह से कई वरिष्ठ नेताओं को चुनावी रेस से बाहर किया है, उससे इस बात के कयास लगाए जा रहे हैं कि उन्हें भी चुनाव से हटने को कहा जा सकता है। 

Related Posts