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सही स्वास्थ्य है, जीवन का सार इसके बिना है, सब बेकार(कोरोना रोग से बचने के उपाय )

सही स्वास्थ्य है, जीवन का सार इसके बिना है, सब बेकार(कोरोना रोग से बचने के उपाय )

विश्व हित चिंतक आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के शिष्य  मुनि श्री भाव सागर जी महाराज प्राचीन दिगंबर जैन मंदिर खुरई जिला सागर (मध्य प्रदेश) में विराजमान है।
कोरोनावायरस से बचने के उपाय के बारे में मुनि श्री भाव सागर जी महाराज ने कहा कोरोनावायरस से पूरी दुनिया में चिंता जनक स्थिति बनी हुई है। आप सभी शासन प्रशासन के द्वारा बताई गई सावधानियां रखकर सहयोग करें। मानसिक स्थिति अच्छी रखें। आज विदेशी संस्कृति ने हमारी भारतीय संस्कृति को नष्ट कर दिया है।आज सभी लोग भयभीत हैं। डरने की आवश्यकता नहीं है। बस सोशल डिस्टेंस रखें और खानपान में सावधानी रखें। भारतीय संस्कृति में भोजन शाला को एक प्रयोगशाला के रूप में वर्णित किया गया है ।हमारा आहार शरीर के लिए एक वैज्ञानिक आहार है। जो आहार और औषधि दोनों के रूप में कार्य करता है। हम जो खाते हैं उसका असर केवल हमारे शरीर पर नहीं पड़ता। बल्कि हमारे शरीर में मौजूद प्रत्येक हॉरमोन्स को भी प्रभावित करता है ।गंदे नालों का विषैला पानी भी फल सब्जी की खेती में उपयोग हो रहा है। यह भी खतरनाक होता है। 
आजकल भोजन बनाते समय स्टील ,एल्युमीनियम और प्लास्टिक के बर्तनों का प्रयोग अधिक होता है जिससे भोजन में हानिकारक रासायनिक पदार्थों के मिश्रित होने की संभावना बढ़ जाती है। ऐसा भोजन शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता घटाता है।  प्राचीन समय में मिट्टी के बर्तनों, तांबा, कांसा, पीतल के बर्तनों का प्रयोग किया जाता था। जो स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद था।भोजन करते समय टीवी देखना, न्यूज़पेपर पढ़ना मोबाइल चलाना और तनाव संबंधी कार्य नहीं करना चाहिए, यह भी नुकसानदायक हैं। होम टू होटल ,होटल टू हॉस्पिटल आज का ट्रेंड बन गया है। इसीलिए घर का ही भोजन सबसे अच्छा स्वास्थ्यवर्धक होता है ।होटल के भोजन से स्वास्थ्य खराब हो जाता है। फास्ट फूड के बारे में  वैज्ञानिकों ने शोध के माध्यम से सिद्ध किया है कि इसके नियमित सेवन से आवश्यक न्यूरो ट्रांसमीटर सेरोटिन की कमी हो जाती है। डिब्बाबंद या पैकेट युक्त खाद्य पदार्थ एवं पेय पदार्थ जो मर्यादा,ताजगी एवं पौष्टिकता से भी रहित हैं ।इन्हें लंबे समय तक सुरक्षित रखने के लिए जहरीले पदार्थों एवं रसायनो का प्रयोग किया जाता है। जिनसे शरीर के अंगों को क्षति पहुंचती है। इनमें प्रोटीन आदि नहीं रहता है। आज की नई पीढ़ी इन्हीं से अपना गुजारा करने की आदत डाल रही है,जो ठीक नहीं है। फास्ट फूड से पूरे विश्व में 70 फ़ीसदी बीमारियों की वृद्धि हुई है। 
विश्व स्वास्थ्य संगठन के बुलेटिन में भी प्रकाशित हुआ है कि एक बार मांस खाने के बाद 160 प्रकार की बीमारियां व्यक्ति के शरीर में प्रवेश करती हैं। एक अंश मांस में तीन करोड़ कीटाणु होते हैं।जो मांस को काटने के बाद तीव्र गति से बढ़ते हैं। अधिकांश पशु गंदा पानी वाला भोजन करते हैं। जिससे विभिन्न प्रकार के रसायनिक तत्व उनके शरीर में पहुंच जाते हैं। मांस को जो जहरीला और रोगयुक्त बना देते हैं । विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार पहले भी कुत्ते के मांस  से लेट्ट़ोस्पायरो, सूअर के मांस से स्वाइन फ्लू ,मुर्गे के मांस से वर्ड फ्लु, चूहे के मांस से प्लेग जैसी महामारी हुई थी। अभी कोरोना  की बीमारी भी मांसाहार की देन है।अतः मांस को छोड़ना स्वस्थ जीवन के लिए बहुत अच्छा है। बाजार में मिलने वाले कोल्ड ड्रिंक में ग्लाईसेरोल मिलाया जाता है। जो  मृत जानवरों से प्राप्त होता है। इसमें हानिकारक कीटनाशक मौजूद रहते हैं। रेडीमेड आटा जिसमें मछलियों का चूर्ण एवं हड्डियों का पाउडर मिलाया जाता है । ब्रेड, बिस्किट, टोस्ट, डबल रोटी बनाने में बेकरी में  खतरनाक रसायन मिलाये जाते हैं।जिसमें लाखों जीव रहते हैं। जो हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं। इसलिए इन सब खाद्य पदार्थों की हानि को जानकर खाने से त्याग करें। अपने शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाएं और और कोरोनावायरस से बचने का उपाय करें।सही स्वास्थ्य ही जीवन का सार है।इसके बिना है सब बेकार।इसलिए जब तक कोरोना रोग का कोई इलाज नहीं मिल रहा है। तब तक सामान्य व्यक्ति अपने मन  और शरीर की पॉजिटिव एनर्जी को सुरक्षित रखें।जिससे हम सभी इस रोग से बच सकें। जो रोगी हैं, उनको नेगेटिव समाचार नहीं सुनाए जाएं। उनके साथ हम सभी अच्छा व्यवहार करें। जो डॉक्टर, पुलिस और शासन- प्रशासन के व्यक्ति इस कार्य में  लगे हुए  हैं।उनका हम आभार माने ।उनके साथ हम सभी अच्छा व्यवहार करें। हम सभी मिलकर भावना भाएं की पूरी दुनिया से कोरोनावायरस का प्रभाव खत्म हो।
 (लेखक- मुनि श्री भाव सागर)

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