कोविड-19 की मार ऑटोमोबाइल कंपनियों को लॉकडाउन हटने के बाद बीएस-6 गाड़ियों के दाम में कमी करने पर मजबूर कर सकती है। जानकारों मुताबिक उन पर अधिकतर बीएस-6 गाड़ियों का दाम बीएस-4 गाड़ियों के बराबर रखने का दबाव बन सकता है।जानकारों का कहना है कि 1 अप्रैल से नए एमिशन नॉर्म्स पर शिफ्ट होने की तैयारी में जुटी ऑटोमोबाइल कंपनियों के लिए मार्च का महीना कोरोना के चलते बेकार हो सकता है। टोयोटा जैसी कंपनियों ने जनवरी से ही बीएस-6 गाड़ियों की बिक्री शुरू की थी। कंपनी ने नए एमिशन स्टैंडर्ड वाली गाड़ियों के प्राइस हाइक में 80,000 रुपये का बोझ डीजल वीकल पर डालने और बाकी 70,000 रुपये खुद उठाने का फैसला किया था।इसके बाद यह साफ है कि अगर मार्केट चाहेगा तो हर ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरिंग कंपनी को बीएस-6 स्टैंडर्ड वाली गाड़ियों के दाम में कमी करना होगा। एक कार कंपनी के सीनियर अफसर ने कहा,हमें सच्चाई स्वीकार करनी होगी। हमें दाम घटाना होगा या डिस्काउंट देना होगा। हम जानते हैं कि यह लंबे समय तक नहीं चल पाएगा।'
बड़ी कंपनियां छोटी डीजल गाड़ियों की बिक्री बंद कर रही हैं जबकि हुंडई के पास अस्थाई तौर पर ही सही इस सेगमेंट में मौजूद अवसर को भुनाने के साथ ही डीजल वीकल की प्रतिस्पर्धी कीमत तय करने का मौका है। यूटिलिटी वीकल बनाने वाली देश की सबसे बड़ी कंपनी महिन्द्रा एंड महिन्द्रा के पास भी इसतरह के मौके होंगे। डीलर्स ने बातचीत में कहा कि कंपनी एक्सयूवी 300 सहित अच्छी मांग वाले दूसरे कई प्रॉडक्ट के नए वर्जन की बेहद कॉम्पिटीटिव प्राइसिंग करेगी। कंपनियों ने कहा कि लॉकडाउन उठने के बाद कंपनियों को बीएस6 गाड़ियों की सेल्स बढ़ाने के लिए फाइनेंशियल इनसेंटिव देना होगा। उनका कहना था कि सबसे बड़ी समस्या डीलर, सप्लायर और वेंडर के साथ तालमेल बैठाने को लेकर होगी।
साइंस & टेक्नोलॉजी
कोविड-19 की मार, ऑटोमोबाइल कंपनियों को बीएस-6 गाड़ियों के घटना होगा दाम