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ग्लेशियर पिघलने से नहीं डूबेगी दुनिया : अध्ययन

ग्लेशियर पिघलने से नहीं डूबेगी दुनिया : अध्ययन

 जलवायु परिवर्तन की वजह से अंटार्कटिका की बर्फ बड़ी तेजी से पिघल रही है। कई शोधकर्ता यह चेतावनी दे चुके हैं कि इस सदी के अंततक समुद्र का जलस्तर चार मीटर से ज्यादा बढ़ जाएगा। इसके बाद दुनिया के कई शहर डूब जाएंगे। लेकिन, एक ताजा शोध में यह दावा किया गया है कि इससे समुद्र के जलस्तर में महज छह इंच का इजाफा होगा,इसकारण अब इस बात से डरने की जरूरत नहीं है। शोध पत्रिका में प्रकाशित लेख में किंग्स कॉलेज के लेक्चरर और प्रमुख शोधकर्ता डॉक्टर तमसीन एडवर्ड ने कहा है कि अंटार्कटिका की बर्फ पिघलने की रफ्तार काफी तेज है। लेकिन, इसके बावजूद इस सदी के अंत तक इससे छह से सात इंच जल स्तर बढ़ेगा जो पहले के अनुमान से करीब सात गुना कम है। पहले के शोधकर्ताओं ने इसके 44 इंच बढ़ने की आशंका जाहिर की थी। शोधकर्ताओं का कहना है कि अंटार्कटिका की बर्फ पिघलने के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन की वजह से दुनियाभर में समुद्र के जलस्तर में कुल 120 सेंटीमीटर या करीब चार मीटर का इजाफा होने का दावा किया। उसके पहले के शोध में इसके 6.5 मीटर बढ़ने की आशंका जाहिर की गई थी। एडवर्ड का कहना है कि इसके बावजूद हमें जलवायु परिवर्तन को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए वरना इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है।
वैज्ञानिकों ने अंटार्कटिका की बर्फ पिघलने और समुद्र के जलस्तर में हुए परिवर्तन को समझने के लिए काफी पड़ताल की है। इसके लिए शोधकर्ताओं ने 30 लाख वर्ष पहले के आंकड़े,1.25 लाख वर्ष पहले के आंकड़े और 25 वर्ष पहले के आंकड़ों की पड़ताल की। इसमें यह बात सामने आई कि अंटार्कटिका की बर्फ पहले से पिघलते रही है और इन वर्षों के दौरान समुद्र के जलस्तर में इतना बड़ा परिवर्तन नहीं आया जैसा कि पहले के कई शोध में दावा किया गया था। शोधकर्ता निक कॉलेग ने कहा कि जलस्तर बढ़ने से बाढ़ और तूफान का खतरा लगातार बढ़ेगा। शोधकर्ता एडवर्ड का कहना है कि अंटार्कटिका को ज्यादा महत्व देकर ग्रीनलैंड की बर्फ पिघलने की रफ्तार को नजरअंदाज कर दिया गया है।

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