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केरल में पाम संडे के दौरान नहीं खुले चर्च, कोरोना संक्रमण ने डाला रंग में भंग

केरल में पाम संडे के दौरान नहीं खुले चर्च, कोरोना संक्रमण ने डाला रंग में भंग

कोरोना वायरस महामारी के कारण देश और दुनिया में होने वाले सभी मुहत्वपूर्ण कार्यक्रमों को भी रद्द कर दिया गया है। कोरोना के चलते केरल में पाम रविवार को पूरे केरल में चर्चों पर ताला लगा दिखाई दिया। कोरोना वायरस के कारण लोग अपने घरों में ही इस अवसर को मनाने के लिए मजबूर हैं। बता दें कि पाम संडे 'पैशन वीक' की शुरुआत का प्रतीक है। यानी ईस्टर के पूर्व का रविवार।
अगर कोरोना वायरस का प्रकोप पूरी दुनिया पर इस कदर नहीं होता तो ऐसे खास मौके पर अब से हर दिन चर्चों में जश्न का माहौल शुरू हो जाता। मौनी गुरुवार और गुड फ्राइडे पर सबसे अधिक लोग चर्चों में शिरकत करते हैं। लेकिन, सभी ईसाई धर्म के लोगों के लिए दुख की बात है, जिनके लिए 'पैशन वीक' का मतलब चर्चों में प्रार्थना करना होता है।
कोविड-19 के प्रसार को रोकने के लिए लगाए लॉकडाउन की वजह से लोगों को घर के अंदर ही रहने की हिदायत दी गई है। राज्य भर के चर्चों में, अधिकारियों ने पाम संडे के दौरान घर के अंदर ही प्रभु का गुणगान करने को कहा। कहा गया कि अगर कही आयोजित भी किया जाए तो पुजारी और उनके सहयोगियों सहित पांच से अधिक लोगों को उपस्थित नहीं होना है। हालांकि, पाम संडे को ऑनलाइन प्रार्थना और विधान कराने की व्यवस्था की गई है।
बता दें कि रविवार को यीशु ने येरुशलम में प्रवेश किया था। ज्यादातर विद्वानों के अनुसार सन 29 ई को प्रभु ईसा गधे पर चढ़कर यरुशलम पहुंचे थे। इस दिन को 'पाम संडे' कहते हैं। वहीं उनको दंडित करने का षड्यंत्र रचा गया। उनके शिष्य जुदास ने उनके साथ विश्‍वासघात किया। अंतत: उन्हें विरोधियों ने पकड़कर क्रूस पर लटका दिया। केरल में यह आयोजन सड़कों पर कई जगहों पर किया जाता है, जब भक्त हाथों में ताज़े कटे नारियल के पत्तों के साथ प्रार्थना और भजन गाते हुए चलते हैं। केरल में ईसाई समुदाय के लोग बड़ी संख्या में रहते हैं। राज्य की 33.4 मिलियन जनसंख्या में से 61.41 लाख ईसाई हैं।
 

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