लॉकडाउन के दौरान अलीगढ़ जनपद में मृत्यु दर का स्तर घटा दिया है। तनाव व अन्य कारणों से आत्महत्या करने के मामले भी घट गए हैं। इसकी तस्दीक 23 मार्च से 4 अप्रैल तक हुई सिर्फ 4 आत्महत्या कर रही हैं। जबकि 1 मार्च से 22 मार्च तक आत्महत्या के जनपद में 15 मामले सामने आए। इसके साथ ही श्मशान घाटों पर भी सन्नाटा पसरा हुआ है। कोरोना वायरस के प्रकोप के कारण 23 मार्च से लॉकडाउन लागू किया गया। जिसके बाद लोग घरों में कैद हो गए। निर्धारित समय के लिए ही लोग घरों से बाहर निकल रहे हैं। जबकि पूरा समय परिवार के साथ बिता रहे हैं। इसका सुखद परिणाम ही है कि जनपद में 23 मार्च के बाद आत्महत्या के मामले बेहद कम हो गए। पहले जहां हर रोज एक व्यक्ति आत्महत्या कर अपनी जीवनलीला खत्म कर रहा था। वहीं पिछले 13 दिनों में सिर्फ 4 व्यक्तियों ने ही आत्महत्या की। इसके पीछे परिवार के साथ रहकर सुख-दुख बांटने के साथ ही तनाव में न रहना है। आंकड़ों की बात करें तो 1 मार्च से 22 मार्च तक जनपद में 15 लोगों ने किसी न किसी कारण से आत्महत्या की। जबकि 23 मार्च से 4 अप्रैल तक सिर्फ 4 लोगों ने ही अपनी जीवन लीला समाप्त की। इस तरह दुर्घटना, मर्डर सहित अन्य अपराध में लोगों की जान जाने के मामले भी शून्य हो गए हैं।
शहर में आधा दर्जन मोक्षधाम हैं। जहां रोजाना 5 से 7 शव अंतिम संस्कार के लिए पहुंचते हैं। लेकिन, 23 मार्च के बाद इन मोक्षधाम पर पहुंचने वाले शवों की संख्या भी घट गई है। साथ ही अंतिम संस्कार में आने वाले लोगों की संख्या में भी कोरोना के कारण गिरावट दर्ज की गई। 1 से 22 मार्च तक शहर के 4 मोक्षधाम में 143 शवों का अंतिम संस्कार हुआ। जबकि 23 से 4 अप्रैल तक इन चारों मोक्षधाम में सिर्फ 38 शवों का ही अंतिम संस्कार किया गया। बात की जाए फरवरी माह की तो चारों मोक्षधाम में 200 से अधिक शवों का अंतिम संस्कार हुआ था। मोक्षधाम में आने वाले शवों की संख्या में गिरावट दर्ज की गई है। पहले जहां रोजाना 5 से 7 शव पहुंच रहे थे, वहीं लॉक डाउन के बाद 1-2 शव भी प्रतिदिन मुश्किल से पहुंच रहे हैं। इससे जाहिर होता है कि लॉकडाउन के कारण मृत्यु दर में गिरावट आई है।
रीजनल नार्थ
लॉकडाउन: 13 दिन में घट गई मृत्यु दर, श्मशान घाटों पर सन्नाटा