किए गए हैं। क्वारंटाइन सेंटरों से लगातार मिल रही शिकायत के बाद यह कदम उठाया गया है। सूत्रों के अनुसार, जमातियों के मोबाइल क्वारंटाइन पीरियड खत्म होने तक केंद्रों में प्रबंधक अपने पास रहेंगे। ये जमाती मोबाइल पर यू-ट्यूब और अन्य सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो देखकर उग्र व्यवहार कर रहे है। अधिकारियों ने कहा कि निजामुद्दीन में तब्लीगी जमात की मरकज से निकालकर अलग-अलग सेंटरों में क्वारंटाइन किए जमाती मोबाइल और सोशल मीडिया के जरिये एक-दूसरे के संपर्क में हैं। ऐसे में इन लोगों के मोबाइल लेना बहुत जरूरी हो गया है। अगर ये एक बार मोबाइल विहीन हो जाएंगे तो शायद इनकी ऊल-जलूल हरकतें भी थम जाएंगी।
वही दूसरी और विशेषज्ञों का मानना है कि मोबाइल की सतह पर कोराना वायरस करीब नौ घंटे तक जिंदा रह सकता है। ऐसे में इससे संक्रमण बढ़ने के खतरे से इनकार नहीं किया जा सकता है। सूत्रों से यह भी पता चला है कि जमाती क्वारंटाइन सेंटरों में डॉक्टरों और अन्य स्टाफ की फोटो खींच रहे हैं और वीडियो बना रहे हैं। बताया जा रहा है कि जमाती अलग-अलग केंद्रों में क्वारंटाइन जमातियों से संपर्क कर उनके यहां की व्यवस्था पूछते हैं। इस आधार पर वे ऊल-जलूल मांग करते हैं।
रीजनल नार्थ
निजामुद्दीन स्थित मरकज से निकाल कर दिल्ली के विभिन्न क्वारंटाइन सेंटरों में रखे गए जमातियों के मोबाइल जब्त