दिल्ली के अलग-अलग अस्पतालों में काम कर रहे 23 स्वास्थ्यकर्मी अभी तक कोरोना के संक्रमण का शिकार हो चुके हैं। इनके संपर्क में आने वाले 200 से ज्यादा स्वास्थ्यकर्मी एहतियात के तौर पर आइसोलेशन में रखे गए हैं। इसमें सबसे बड़ी अड़चन यह है कि बेहतरीन गुणवत्ता वाले सुरक्षा उपकरण उपलब्ध नहीं हैं। इसके लिए एम्स आरडीए ने प्रधानमंत्री से मदद मांगी है। कोरोना की चपेट में आए इन 23 स्वास्थ्यकर्मियों में 11 डॉक्टर, 11 नर्स और पैरामेडिकल स्टाफ के अन्य कर्मचारी हैं। वहीं, दो सफाई कर्मचारी भी शामिल हैं। दिल्ली में दो अस्पतालों में सबसे अधिक स्वास्थ्यकर्मी संक्रमण की चपेट में आए हैं। इनमें दिल्ली राज्य कैंसर संस्थान और महाराजा अग्रसेन अस्पताल हैं। अग्रसेन अस्पताल में एक डॉक्टर और चार दूसरे कर्मचारी कोरोना के शिकार हुए हैं। अस्पताल के एक डॉक्टर ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि अगर बेहतरीन सुरक्षा उपकरण होते तो ऐसा नहीं होता। सफदरजंग में भी दो डॉक्टर और एक डॉक्टर एम्स में भी संक्रमण का शिकार हो गए हैं। सफदरजंग में 21 कर्मचारी आइसोलेशन में हैं, वहीं एम्स में तीन प्रोफेसर समेत 11 लोग आइसोलेशन में हैं। एम्स की आरडीए के पूर्व अध्यक्ष डॉक्टर हरजीत का कहना है कि सभी डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मी को एन 95 मास्क मिलते तो ऐसा नहीं होता।
वही फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉक्टर शिवजी देव बर्मन का कहना है कि सभी स्वास्थ्यकर्मियों को बेहतरीन गुणवत्ता के सुरक्षा उपकरण उपलब्ध कराने होंगे। एम्स की रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर अपील की है कि सुरक्षा उपकरणों की कमी का मुद्दा उठाने वाले डॉक्टरों को परेशान न किया जाए। वहीं, एम्स आरडीए के महासचिव डॉक्टर श्रीनिवासन राजकुमार के मुताबिक सुरक्षा उपकरणों की कमी किसी से छिपी नहीं हैं, लेकिन जो मुद्दे को उठा रहे हैं, उन्हें धमकियां मिल रही हैं।
रीजनल नार्थ
अच्छे सुरक्षा उपकरणों की कमी झेल रहे दिल्ली के अलग-अलग अस्पतालों में