दिल्ली के सरिता विहार इलाके में रह रहीं नर्सों का कहना कि उनके इलाके में दुकानदार उनसे भेदभाव कर रहे हैं। वह उन्हें सामान नहीं दे रहे हैं। यदि उन्हें कोई सामान खरीदना होता है तो उन्हें अपने साथ बच्चों को या किसी दूसरे को साथ लाना पड़ता है। अपोलो अस्पताल में काम करने वाली केरल निवासी एक नर्स ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि दुकानदार उन्हें शक की नजर से देखते हैं। उन्हें लगता है कि हम अस्पताल में काम करती हैं तो कोरोना वायरस का संक्रमण फैला सकती हैं।यूनाइटेड नर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष रिंस जोसफ का कहना है कि सरिता विहार में रहने वाली नर्सों को दुकानदार सामान नहीं दे रहे हैं। यदि वह उन्हें सामान देंगे तो उन्हें भी कोरोना हो जाएगा। उन्होंने कहा कि नर्स को पता है कि किस तरह से संक्रमण से बचाव करना है, लेकिन यह सब बताने के बाद भी दुकानदार परेशानी उत्पन्न कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि नर्सों की समस्याओं को लेकर वे कोर्ट में याचिका भी लगाएंगे। निजी अस्पतालों में काम कर रहे नर्सिंग स्टाफ को अस्पतालों की तरफ से कोई सुविधाएं नहीं मिल रही हैं। द्वारका में काम करने वाले अधिकतर नर्सिंग स्टाफ को मुख्य सड़क तक आने के लिए घंटों पैदल चलना पड़ता है। उन्होंने बताया कि वेंकटेश्वर अस्पताल में काम करने वाली एक नर्स तो पांच किलोमीटर तक पैदल चलकर अस्पताल पहुंचती है। कभी-कभी उन्हें कोई साथी छोड़ देता है, लेकिन कई बार उन्हें पैदल ही घर तक और घर से अस्पताल तक आना पड़ता है। अस्पताल की तरफ से उन्हें कोई सुविधा भी नहीं दी जा रही।
रीजनल नार्थ
कोरोना संक्रमण के डर से नर्सों को सामान नहीं दे रहे दुकानदार!