दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग ने केजरीवाल सरकार से पूछा है कि दिल्ली के कोरोना मामलों में मरकज वालों का आंकड़ा अलग क्यों लिखा जा रहा है? आयोग ने केजरीवाल सरकार को पत्र लिखकर इसका जवाब मांगा है।
अल्पसंख्यक आयोग ने कहा कि संप्रदाय के आधार पर अलग किए गए कॉलम को जल्द से जल्द हटाया जाए, क्योंकि इस तरह की चीजें 'इस्लामोफोबिया' के एजेंडे को बढ़ावा मिल रहा है। पत्र में आगे कहा गया कि इस वजह से देशभर के कई हिस्सों में मुसलमानों पर हमले किये जा रहे हैं। अल्पसंख्यक आयोग ने विश्व स्वस्थ्य संगठन की रिपोर्ट का भी हवाला दिया। उन्होंने कहा कि कि विश्व स्वस्थ्य संगठन ने भी विश्व भर की सरकारों से अपील की है कि कोरोना के मरीज़ों के आधार पर राजनीति न की जाए और उन्हें धर्म के आधार पर न बांटा जाए।
ज्ञात रहे कि दिल्ली में भी कोरोना संक्रमितों की संख्या 669 हो गई है, इनमें 426 मरकज़ से जुड़े लोग शामिल हैं। पिछले पिछले 24 घंटों में दिल्ली में 93 नए मामले सामने आए हैं जो सभी मरकज़ के हैं। अहम बात यह है कि यह सभी 93 मामले क्वॉरेंटाइन सेंटर में रखे गए मरकज के लोगों के हैं, जबकि अभी तक अस्पताल में भर्ती मरकज़ के लोगों के आंकड़े सामने आ रहे थे। बता दें कि निजामुद्दीन मरकज इलाके से 2346 लोगों को निकाला गया था इनमें से 536 अस्पताल में भर्ती किए गए थे, जबकि 1810 क्वारन्टीन सेंटर में रखे गए थे। अस्पताल में भर्ती किए लोगों में से 333 लोग पॉजिटिव हुए थे, जिससे ऐसा लगा था कि आंकड़ा अब थम गया है, लेकिन अब क्वारंटीन में रखे लोगों के कोरोना से संक्रमित होने से आंकड़ा तेज़ी से बढ़ना शुरू हो गया है।
रीजनल नार्थ
कोरोना मामलों में मरकज वालों का आंकड़ा अलग क्यों ? - अल्पसंख्यक आयोग ने केजरीवाल सरकार से पूछा