दुनिया के भयावह माहमारी बनकर उभरा कोरोना वायरस संकट के बीच इस माहमारी से बच्चों के कम प्रभावित होने की खबरें सबसे पहले चीन से आई थीं। अब अमेरिका में भी कोरोना का असर बच्चों में कम देखा जा रहा है। अगर बच्चों को संक्रमण हो भी रहा है तो वो मामूली इलाज से ठीक हो जा रहा है। अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज़ कंट्रोल के साइंटिस्ट्स का कहना है कि वयस्कों के मुकाबले 18 से कम उम्र के किशोरों और बच्चों में कोरोना के संक्रमण के बावजूद लक्षण भी नहीं उभर पा रहे हैं। संक्रमण के बाद इन्हें अस्पताल में एडमिट कराने की भी जरूरत बेहद कम पड़ रही है. सिर्फ ऐसे ही बच्चों को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ रहा है जिन्हें कोई गंभीर रोग पहले से है.हालांकि ये बातें छोटे सैंपल साइज से कलेक्ट किए गए डेटा के आधार पर कही जा रही हैं। सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल ने कुल 2500 बच्चों को लेकर आंकड़ा इकट्ठा किया है. इससे पहले चीन की स्टडी में भी 21 सौ बच्चों को शामिल किया गया था। उस स्टडी के मुताबिक इन बच्चों में महज 10 प्रतिशत में कोरोना के गंभीर लक्षण दिखाई दिए. यानी 90 प्रतिशत बच्चों में बेहद हल्के लक्षण दिखाई दिए। स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ मेडिसिन के प्रोफेसर युवो मैलडोनाल्डो के मुताबिक सामान्य तौर पर देखा जाता है कि फ्लू या इन्फ्लूएंजा की चपेट में बच्चे और वृद्ध ज्यादा आते हैं. लेकिन कोरोना के मामले में हम बच्चों को अलग कर सकते हैं. कहा जा सकता है कि 18 साल से ऊपर के लोगों में ये महामारी ज्यादा असर दिखा रही है. कोरोना के खतरनाक असर को उम्र के बढ़ते क्रम के रूप में देखा जा सकता है। डॉ. युनोन ने आश्चर्य जाहिर करते हुए कहा कि हम समझ नहीं पा रहे हैं कि ये क्या हो रहा है? सिद्धांत कमजोर पड़ रहे हैं. एक रिपोर्ट कहती है कि बच्चों और व्यस्कों के इम्यूनिटी सिस्टम में महत्वपूर्ण अंतर होते हैं। बच्चों का इम्यूनिटी सिस्टम अपरिपक्व होता है और अति प्रतिक्रिया दे सकता है. शायद यही वजह है कि बच्चों को बुखार की शिकायत अक्सर हो जाती है। लेकिन कोरोना के संदर्भ में ऐसा नहीं हो रहा है. और शायद इसी वजह से बच्चों में लक्षण ज्यादा नहीं उभर रहे हैं. डॉक्टर भी अभी इसे लेकर संशय की स्थिति में हैं। माना जाता है कि कोरोना के संदर्भ में भी इम्यूसिटी सिस्टम अतिप्रतिक्रिया देता है. हालांकि अभी कोरोना को लेकर विशेष तौर पर बच्चों के बारे में बहुत ज्यादा रिसर्च नहीं की गई है।. चीन में नवजात बच्चों को लेकर भी दिलचस्प मामला सामने आया है। वुहान में दो कोरोना पॉजिटिव महिलाओं ने बच्चों को जन्म दिया. डॉक्टरों को आशंका थी कि नवजात भी कोरोना पॉजिटिव हो सकते हैं। लेकिन जब टेस्ट किया गया तो दोनों ही बच्चे निगेटिव आए। हालांकि अभी अमेरिकी डॉक्टर्स किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचे हैं। उनका मानना है कि ये शुरुआती स्टडी है और इस बात की तह तक जाना होगा कि बच्चों में कोरोना का असर कम क्यों दिख रहा है. सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल इसे लेकर एक बड़ी स्टडी करने की तैयारी कर रहा है।डॉक्टरों का मानना था कि शायद बच्चों ने गर्भ में ही कोरोना वायरस के लिए एंटी बॉडी जेनेरेट कर ली थी। वुहान में ही नौ प्रेग्नेंट महिलाओं पर की गई एक स्टडी के मुताबिक कोरोना मां से बच्चे में ट्रांसफर नहीं होता है।
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कोरोना वायरस का असर बच्चों में कम -मामूली इलाज से ठीक हो जा रहा संक्रमण