कोरोना वायरस के संक्रमण से दुनिया भार में कोहराम मचा हुआ है. भारत में भी इस संक्रमण ने कोहराम मचाया हुआ है. खासकर महाराष्ट्र में तो हालात बेहद गंभीर होते जा रहा है क्योंकि सबसे ज्यादा मामले अबतक महाराष्ट्र में सही सामने आये हैं जिसमें प्रमुख रूप से मुंबई है. राज्य में अबतक 1364 संक्रमितों की पुष्टि हुई है, जिनमें 108 लोगों की मौत हो चुकी है. अकेले मुंबई में ही 876 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं. राज्य में उपचार के बाद ठीक होने वालों की दर भी बहुत कम है. यहां अब तक कुल 125 मरीजों को ही ठीक किया जा सका है. राज्य में हर घंटे संक्रमितों की संख्या में वृद्धि हो रही है. एक तर्क ये भी दिया जा रहा है कि महाराष्ट्र में जांच ज्यादा होने के कारण लगातार नए मामले सामने रहे हैं. अगर इस आधार पर आकलन किया जाए तो हर दिन सबसे ज्यादा मामले केरल में सामने आने चाहिए क्योंकि राज्य में छोटे-छोटे बूथ बनाकर लोगों की जांच की जा रही है. तर्क के उलट केरल में कोरोना वायरस के नए मामले सामने की रफ्तार कम हो गई है. अब सवाल ये है कि आखिर वो कौन सी चूक थी, जिसकी वजह से महाराष्ट्र में हालात खराब होते चले गए.
- पहला केस आने के एक महीने में हुए 1,000 से ज्यादा संक्रमित
महाराष्ट्र में पहला कोरोना पॉजिटिव मामला पुणे में 9 मार्च को सामने आया था. पुणे में संक्रमित पाए गए पति-पत्नी दुबई से लौटे थे. इसके अगले ही दिन इन दोनों के संपर्क में आए 3 अन्य लोग भी कोरोना पॉजिटिव पाए गए. इसके करीब एक महीने के भीतर महाराष्ट्र में संक्रमितों की संख्या 1,000 को पार कर गई. वहीं, इसी बीच 64 संक्रमित लोगों की मौत हो चुकी थी. इसी के साथ महाराष्ट्र पूरे देश में सबसे ज्यादा संक्रमित मरीजों वाला राज्य भी बन चुका था. इसमें भी मुंबई राज्य के सबसे बड़े हॉटस्पॉट के तौर पर सामने आया, जहां महीने भर में 600 से ज्यादा संक्रमित पाए जा चुके थे. इनमें 40 की मौत हो चुकी थी. दरअसल, मुंबई में कारोबार के सिलसिले में हर दिन सबसे ज्यादा विदेशी आते हैं. वहीं, मुंबई से भी काफी संख्या में लोग हर दिन विदेश जाते हैं. मुंबई में विदेश से लौटे लोग अनजाने में अपने साथ वायरस लेकर आए और अब यह पूरे राज्य में पैर पसार चुका है.
- लोकल ट्रेन के पहिए थमने में देरी से संक्रमण फैला
एशिया की सबसे बड़ी झुग्गी बस्ती धारावी भी मुंबई में ही है. अब संक्रमण इस बस्ती में भी फैल चुका है. यहां से संक्रमण बांद्रा टर्मिनस से सटे बेहराम पाड़ा और कुर्ला की जरीमरी झुग्गियों तक फैल गया है. यहां तक कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के घर मातोश्री के आसपास भी संक्रमण पाया गया है. मुंबई में लोकल ट्रेन से सफर करने वालों की भारी संख्या के कारण भी संक्रमण तेजी से फैला है. इसके अलावा देश के अलग-अलग राज्यों से मुंबई में काम करने वाले लोगों की तादाद भी लाखों में है. लॉकडाउन और राज्य में कर्फ्यू की घोषणा के बाद हजारों की तादाद में मुंबई में बसे लोग वापस अपने घरों की ओर लौटे. ये लोग अनजाने में वायरस को देश के अलग-अलग हिस्सों में मौजूद अपने गांवों तक ले आए.
- एयरपोर्ट पर चूक, हर विदेश से लौटे व्यक्ति को नहीं किया क्वारंटीन
महाराष्ट्र के पुणे में पहला पॉजिटिव मामला सामने आने से काफी पहले ही एयरपोर्ट पर थर्मल स्क्रीनिंग शुरू हो चुकी थी. शुरुआत में चीन समेत सिर्फ देशों से आने वालों की ही गंभीरता से जांच की गई. हालांकि, विदेश से आने वाले हर यात्री से सेल्फ डिक्लरेशन फॉर्म भरवाकर उसकी ट्रैवल हिस्ट्री की जानकारी हासिल कर ली जाती थी. इसके बाद उसकी थर्मल स्क्रीनिंग की जाती थी. अगर किसी में संक्रमण के लक्षण नजर आने पर ही अलग करके निगरानी में रखा जा रहा था. मामले बढ़ने पर विदेश से आने वाले सभी लोगों को 14 दिन के लिए क्वारंटीन में रहने की सलाह दी गई. हालांकि, तब तक शायद देर हो चुकी थी. कई ऐसे केस सामने आ चुके थे, जिन्हें क्वारंटीन में रखे जाने की जरूरत थी लेकिन नहीं रखा गया था. ये आराम से बाहर घूमते रहे और दूसरे स्वस्थ्य लोगों को संक्रमित करते रहे.
- विदेश से लौटे लोगों की लपारवाही ने भी खराब कर दिए हालात
स्वास्थ्य विशेषज्ञ शुरू से ही आशंका जता रहे थे कि सिर्फ संक्रमित देशों से आने वालों की स्क्रीनिंग भविष्य में बड़ी लापरवाही के तौर पर सामने आ सकती है. इसके अलावा घरेलू यात्रियों की स्क्रीनिंग के लिए एयरपोर्ट पर कोई व्यवस्था नहीं की गई थी. वहीं, भारत में संक्रमण के दूसरे स्टेज में पहुंचने पर संदिग्धों के साथ-साथ बाहर से आने वाले हर व्यक्ति को स्क्रीनिंग में निगेटिव पाए जाने के बाद भी कम से कम 14 दिन के लिए क्वारंटीन किए जाने की सलाह दी गई. निगेटिव पाए गए लोगों को अपने घरों में क्वारंटीन का पालन करना था, लेकिन इनमें से कुछ लोग नहीं माने. ऐसे मामले सामने आने के बाद एयरपोर्ट अथॉरिटी ने बाहर से आने वाले हर यात्री के हाथ पर क्वारंटीन स्टैंप भी लगाना शुरू किया. साथ ही उन्हें 14 दिन तक घर पर ही रहने को कहा गया. इसके बाद क्वारंटीन का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ केस दर्ज किए गए.
- सेल्फ आइसोलेशन और क्वारंटीन का लोगों ने नहींं किया पालन
महाराष्ट्र में कुछ जगहों पर स्टैंप लगे होने के बाद भी लोगों के सार्वजनिक वाहनों से सफर करते हुए पकडे जाने के मामले सामने आए थे. महाराष्ट्र के सांगली जिले में क्वारंटीन का पालन नहीं करने वाले 4 लोगों के कारण अब 300 लोगों को घर में आइसोलेट करना पडा है. ऐसी ही गलती के कारण एक ही परिवार के 24 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे. कई लोगों ने सेल्फ आइसोलेशन और सोशल डिस्टेंसिंग का भी पालन नहीं किया. इस वजह से भी राज्य में मामले लगातार बढते चले गए. एयरपोर्ट स्क्रीनिंग के साथ ही शुरुआत से ही भारत में कम कोरोना टेस्टिंग को लेकर भी सवाल उठते रहे हैं. देश में केवल उन्हीं लोगों का कोरोना टेस्ट किया जा रहा है जो या तो किसी देश की यात्रा करके लौटे हैं या विदेश से लौटे लोगों के संपर्क में आए हैं.
- कोरोना टेस्टिंग नियमों में खामी, अस्पतालों में भी सुरक्षा चूक
कोरोना टेस्टिंग को लेकर बनाए गए नियम भी संक्रमण फैलने की वजह बने. नियमों के तहत किसी व्यक्ति को सांस लेने में दिक्कत, बुखार और खांसी तीनों होने पर ही कोविड-19 जांच की जाएगी. हालांकि, अब देश में हॉटस्पॉट इलाकों के हर व्यक्ति की जांच की जा रही है. इसके अलावा अस्पतालों की लापरवाही भी सामने आई है. मुंबई के वॉकहार्ट अस्पताल में 3 डॉक्टर और 40 से अधिक नर्स व स्वास्थ्य कर्मचारियों समेत 52 लोग कोरोना वायरस संक्रमित पाए गए. अस्पताल को सील कर दिया गया. बृहन्मुंबई नगरपालिका (बीएमसी) ने अस्पताल को हॉटस्पॉट भी घोषित कर दिया. इसके अलावा डॉक्टरों और नर्सों ने भी सवाल उठाए कि अस्पताल ने उन्हें समय रहते पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट (पीपीई) उपलब्ध नहीं कराए. वहीं, अस्पताल संदिग्ध मामलों को अलग करने में भी नाकाम रहा.
- मरकज से लौटे लोगों ने भी फैलाया संक्रमण
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि तबलीगी जमात के आयोजन के चलते पूरे देश में कोरोना मरीजों की संख्या में वृद्धि हुई है. इस दिशा में जांच करने पर पता चला कि मुंबई की झुग्गी-झोपड़ियों में मरकज में शामिल होकर लौटे लोगों के कारण ही कोरोना वायरस का प्रकोप फैला है. इसके अलावा कई लोग विदेश से आए और इन बस्तियों में लोगों से अनजाने में संपर्क में आए और उन्हें संक्रमित कर दिया. सूत्रों की मानें तो मुंबई के अस्पतालों में 90 फीसदी मरीजों का तबलीगी जमात से कनेक्शन सामने आया. इसके अनुसार, धारावी का मदीना नगर, बालिगानगर, बांद्रा का बेहरामपाड़ा और कुर्ला के जरीमरी इलाके में मुसलमानों में ही कोरोना का कहर ज्यादा देखने को मिला है.
- अब भी गंभीर नजर नहीं आ रहे लोग
महाराष्ट्र मंत्रिमंडल ने बृहस्पतिवार को लॉकडाउन लागू होने के बावजूद बाजारों में भीड़-भाड़ पर चिंता जताई. साथ ही कुछ इलाकों को थोड़े समय के लिए पूरी तरह बंद करने के विकल्प पर विचार किया. दरअसल, प्रशासन के बार-बार समझाने के बावजूद लोग बाजारों में भीड़ बढ़ा रहे हैं. मंत्रियों ने विचार किया कि क्या बाजारों को कुछ समय के लिए पूरी तरह बंद किया जा सकता है ताकि सोशल डिस्टेंसिंग का सख्ती से पालन कराया जा सके. इस बारे में राजस्व मंत्री बालासाहेब थोराट ने कहा कि संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए कुछ समय के लिए पूरी तरह लॉकडाउन बहुत जरूरी है. लोग अब भी कोरोना वायरस को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं और बाजारों में भीड़ बढ़ा रहे हैं.
रीजनल वेस्ट
(मुंबई) कोरोना से आखिर महाराष्ट्र के हालात क्यों हो गए खराब ?