इन्दौर प्रदेश में थैलेसीमिया पीड़ित रोगियों की स्थिती खराब हो रही है, लॉक डाउन के कारण ब्लड डोनर नहीं मिल रहे हैं। थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों को ब्लड डोनर नहीं मिलने से उनकी जान खतरे में है।
उक्त जानकारी देते हुए म.प्र. थेलेसीमिया वेलफेअर सोसायटी के प्रदेश अध्यक्ष चन्द्रशेखर शर्मा एवं सचिव सुश्री वन्दना शर्मा ने कहा कि कोरोना वाइरस (कोविड-19) महामारी विश्व भर में एक बहुत बड़ी समस्या बन गई है। अब तक दुनिया में लाखों से अधिक और भारत में 5000 से अधिक व्यक्ति इस वाइरस से प्रभावित हो चुके हैं। विश्व में रोज़ अनेक रोगी इससे अपनी जान गंवा रहे हैं। जहाँ एक ओर कोविड-19 का संक्रमण अस्थमा, मधुमेह, हृदय रोग,डायलिसिस पर निर्भर रोगी तथा कैंसर आदि के लिए अधिक घातक है। वहाँ थेलेसीमिया रोगियों के लिए एक विशेष प्रकार की समस्या बन गई है। थैलेसीमिया रोगी को हर 15-20 दिन में खून चढाना पड़ता है। अगर समय पर खून नहीं मिलता है तो एनिमिया बढ़ जाता है, जिससे इंफेक्शन होने का खतरा बहुत अधिक हो जाता है। थैलेसीमिया रोगियों में अक्सर मधुमेह, हृदयरोग, जिगर रोग एवं अंतःस्रावी ग्रंथियों में समस्याएँ पायी जाती हैं। अतः इनमें यदि कोविड-19 का संक्रमण हो जाये तो परिस्थितियाँ और भी गंभीर हो सकती हैं। जिन बच्चों ने तिल्ली का ऑपरेशन करा रखा है, उनमें तो समस्या और भी अधिक विकट है।
म.प्र. थेलेसीमिया वेलफेअर सोसायटी के प्रदेश अध्यक्ष चन्द्रशेखर शर्मा एवं सचिव सुश्री वन्दना शर्मा ने उक्त जानकारी देते हुए बताया कि आजकल कोविड-19 महामारी के चलते रक्तदान शिविर नहीं लग रहे हैं, स्वैच्छिक रक्तदाता कोविड-19 के संक्रमण के डर से अस्पताल में रक्तदान करने से घबरा रहे हैं। जो थोडे बहुत लोग रक्तदान करना भी चाहते हैं, वो भी वाहन का अभाव व कर्फ्यू पास प्राप्त करने में आई कठिनाइयों के कारण रक्तदान करने में असुविधा महसूस कर रहे हैं। यदि समय रहते इस पर प्रभावी कदम नहीं उठाये गए तो थेलेसीमिया पीडित बच्चों का जीवन खतरे में पड़ रहा है।
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लॉक डाउन के दौरान थेलेसीमिया रोगियों को नहीं मिल रहे हैं ब्लड डोनर