आपको लोगों को नायक फ़िल्म याद ही होगी। इसमें फ़िल्म के हीरो अनिल कुमार को अड़ी-अड़ी में एक दिन का मुख्यमंत्री बना दिया जाता है। फिर क्या था ये एक दिन के सीएम अनिल कपूर अपने पीए परेश रावल को टाइपराइटर के साथ रखते हैं और निकल पड़ते हैं प्रदेश की व्यवस्था सुधारने। अनिल कपूर एक दिन में प्रदेश की लगभग सभी समस्याएँ दूर कर देते हैं। न केवल समस्याएँ दूर करते हैं बल्कि प्रदेश की जनता के चहेते बन जाते हैं। यही नहीं सियासत के दाँवपेंच सीखकर प्रदेश चलाने का चैलेंज देने वाले सीएम अमरीश पुरी को ऊपर का रास्ता दिखा देते हैं। अनिल कपूर ने जनता की ख़ुशहाली के लिए किए गए दुरूह कार्य के लिए कोई मंत्रिमंडल नहीं बनाया था। वे अकेले ही बैटिंग, बालिंग,, फ़ील्डिंग, एम्पायरिंग और स्कोरिंग का काम करके अपनी क़ाबिलियत का लोहा बनवाया था। फ़िल्म देखने वाले हर दर्शक ने ख़ूब तालियाँ पिटी थीं।
ऐसा ही एक नायक अपने प्रदेश को पुनः मिला है। जिनकी लोकप्रियता इतनी है कि नाम बताने की आवश्यकता नहीं है। नायक अपनी नई पारी बिना किसी मंत्रिमंडल साथियों के खेल रहे हैं। कोरोना का हॉटस्पॉट बन चुके प्रदेश के वो एकमेव नायक हैं। खाद्यान्न ख़रीद, आपूर्ति से लेकर स्वास्थ्य तक तमाम व्यवस्थाओं को स्वयं संभाल रहे हैं। अपने बंगले से बैठकर दिन भर विडियोकॉल और फ़ोन के ज़रिए दिशा-निर्देश जारी कर रहे हैं। घंटों जिले में तैनात आईएएस और आईपीएस अफ़सरों को नसीहत देते रहते हैं जैसे इन्हें समझ नहीं है। बात यहीं ख़त्म नहीं होती फिर फ़ेसबुक में कई पोस्ट्स डालकर फ़ेसबुक़ियों को बताते हैं कि उन्होंने क्या-क्या किया और क्या-क्या कर रहे हैं। उनके द्वारा रात-दिन की जाने वाली मेहनत और पब्लिक फ़िक्र के बाद इतना तो कहा ही जता सकता है कि नायक फ़िल्म के नायक का नया अवतार हुआ है और प्रदेश की जनता नायक-2 देख रही है। लॉक डाउन की वजह से थिएटर बंद है इसलिए तालियों की गड़गड़ाहट सुनाई नहीं पड़ रही होगी लेकिन नायक की फ़ेसबुक वाल पर लाइक्स और कॉमेंट्स संख्या बता रही है नायक-2 सफलता की ओर अग्रसर है।
फ़िल्म नायक में जिस तरह निर्वाचित सीएम अमरीश पुरी और उनके साथियों की दुर्गति हुई थी, कमोबेश वही हालात कांग्रेस से ग़द्दारी करके भागे 22 विधायकों की हो रही है। इनके मुखिया अलग हलाकान परेशान हैं। कब मंत्रिमंडल बनेगा, कब मान-सम्मान और माल आएगा। बेचारों की विधायकी भी गई और अब तक कुछ हाथ न लगा। सोच रहे होंगे कि अगर पुरानी सरकार में बने रहते तो ‘कोरोना उत्सव’ में अच्छा-ख़ासा सेवा शुल्क वसूल हो जाता।
वैसे नायक-2 के नायक मंत्रिमंडल न बनाकर बिलकुल सही कर रहे हैं। संविधान कहता है कि किसी प्रदेश के सुचारू संचालन के लिए विधायक अपना नेता चुनेंगे जो मुख्यमंत्री होगा। मुख्यमंत्री अपने सहयोग के लिए मंत्रिमंडल का गठन कर सकता है। कर सकता है, ज़रूरी नहीं। इसलिए प्रदेश की कमान संभाल रहे नए नायक को चाहिए कि माली क़िल्लत से जूझ रहे प्रदेश पर और बोझ न डालें। अकेले ही प्रदेश का संचालन कर देश में एक मिसाल क़ायम करें। ताकि अन्य राज्य भी इस नायक के फ़ार्मूले का अनुसरण कर सकें और अपने-अपने राज्यों का करोड़ों स्वाहा होने बचाएँ।
(लेखक-जहीर अंसारी)
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अकेला नायक ही काफ़ी है प्रदेश संभालने.....