आज वैसे तो पूरा विश्व ही महान संक्रमण के दौर से गुजर रहा है, जिसमें हमारा अपना भारत भी शामिल है, किन्तु संकट के इस दौर में भारत ने पूरे विश्व को यह महसूस अवश्य करा दिया कि संक्रमण काल में साहस, दूरदशिता और दूरद्रष्टि क्या होती है,
इसीलिए तो आज एक ओर विश्व की महाशक्ति अमेरिका जहॉ प्रतिदिन अपने दो हजार देशवासियों को खो रही है, वहीं हमारे देश के नेत्तृव ने विश्व को दिखा और सिखा दिया कि संक्रमण काल बखूबी कैसें निपटा जाता है और अपने देश व देशवासियों की रक्षा-सुरक्षा कैसे होती है, आज पूरा विश्व हमारे ’लॉकडाउन‘ जैसे कदमों की तारीफ कर रहा है और उनका अनुशरण करने का प्रयास भी कर रहा है, क्योंकि हर देश इन्ही कदमों में अपने देश का हित देश रहा है, और जहॉ तक हमारे देशवासियों का सवाल है, उन्हे पिछले तीन सप्ताह से अपने घरों में बंद होकर रहने के साथ जीवनोपयोगी वस्तुओं का अभाव अवश्य झेलना पड रहा है, किन्तु इनका घरों में बंद रहना, सभी के लिए वरदान सिद्व हो रहा है और इसी कारण यह महामारी हमारे देश में विकराल रूप धारण नही कर पाई। इसके साथ ही देशका हर नागरिक यह भी जानलें कि उसकी यह अग्निपरीक्षा अभी खत्म नही हुई है, अभी तो इसका मध्यान्तर है, अभी इतनी ही लम्बी दूरी हमें और तय करना है और इस महामारी को जडो से उखाडकर हमारे देश के तीन और व्याप्त महासागर में फैंकना है, जिससे कि हमारे पड़ौसी देश इससे ग्रसित न हो, यही हमारा हर देशवासी का संकल्प है। यह सब हमारे केन्द्रीय नेत्तृव का कमाल है, उनके सशक्त नेत्तृव में अब यह देश किसी भी संक्रमण का सफलतापूर्वक सामना करने को तैयार है।
अब इस दौर में यदि हम अपनी और अपने प्रदेश की बात करें तो हमारे प्रदेश तो स्वास्थ्य के संक्रमण के साथ राजनीतिक संक्रमण के दौर से भी गुजर रहा है। हमारे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जी ने इसी स्वास्थ्य संक्रमण के दौर में सरकार का दायित्व वहन किया था और चूंकि उनकी पहली प्राथमिकता महामारी से प्रदेश को सुरक्षित रखना था, इसलिए उन्होने समस्याओं के इस ’चक्रव्यूह‘ में अकेले ही जूझना तय किया और बिना किसी राजनीतिक या भौतिक सहयोग के अकेले ही पिछले तीन सप्ताह से आधुनिक ’अभिमन्यू‘ की भूमिका अख्तियार कर इस महामारी व राजनीतिक चक्रव्यूह को सफलतापूर्वक भेदने का प्रयास किया है, और उसमे बहुत हद तक सफल भी रहें, किन्तु अब जब उन्होने प्रदेश में जानलेवा महामारी को काबू में कर लिया है तो अब उन्होने अपनी दूसरी प्राथमिकता मंत्री परिषद के गठन की तैयारी शुरू कर दी है और संभव है इसी सप्ताह की अवधि में इस ’अग्निपरीक्षा‘ में भी वे खरे उतर कर सबके सामने आ जाऍ।
अंग्रेजी में एक कहावत है ”डोन्ट ट्राय टू प्लीज एवरीवन“ अर्थात हर एक को खुश रखने का प्रयास मत करों, और जब तक इस कहावत को ईमानदारी से जीवन में नही उतारा जाता तब तक हर क्षैत्र में सफलता संदिग्ध हो जाती है, राजनीति में भी यही होना चाहिए और नेत्तृव को इसी का बखूबी पालन करना चाहिए इसके लिए गंभीर चिंतन भी जरूरी है, जैसे मध्यप्रदेश के वर्तमान संदर्भ में भाजपा को जिसके माध्यम से सरकार मिली है, शपथ के समय उस माध्यम को भूलाना राजनीतिक अपराध होगा, चाहें फिर इसके लिए ”अपनों“ को क्यों न नाराज करना पड़ें ?
यद्यपि शिवराज जी काफी अनुभवी व संस्कारवान राजनेता है, उन्हे सब पता है, इसलिए आशंका कुछ नही है, फिर भी उन्हें हर बात याद दिलाना तो एक हितैषि की दृष्टि से हर एक का कर्तव्य है ही ?
(लेखक-ओमप्रकाश मेहता)
आर्टिकल
(संक्रमण काल) अभी किसी की भी अग्नि परीक्षा ’खत्म नही‘ हुई है....?