कोलकाता । कोविड-19 ने पूरे भारत और विश्व में तबाही मचा रखी है, वहीं पश्चिम बंगाल में कोरोना को लेकर एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया है, जहां कई चिकित्सीय समुदाय और विपक्षी पार्टी दावा कर रही हैं कि राज्य बहुत कम मामलों की जानकारी दे रहा है, क्योंकि संक्रमण के लिए बहुत कम आबादी की जांच की जा रही है। दरअसल शनिवार तक, राज्य में कोविड-19 के 233 मामले सामने आए हैं और 12 लोगों की मौत हुई है जो महाराष्ट्र, राजस्थान और उत्तरप्रदेश जैसे बड़े राज्यों से बहुत कम है।
राज्य में जो मौत हुई हैं वे कोरोना वैश्विक महामारी के चलते हुई हैं या पहले से जारी किसी गंभीर बीमारी के कारण हुई हैं, यह जांचने के लिए उनका इलाज करने वाले चिकित्सकों की जगह विशेषज्ञ ऑडिट समिति का गठन करना राज्य सरकार के डेटा की विश्वसनीयता के बारे में संदेह पैदा करता है। कोलकाता में कोविड-19 जांच के लिए आईसीएमआर के प्रमुख केंद्र, राष्ट्रीय कॉलरा और आंत्र रोग संस्थान (एनआईसीईडी) ने हाल में कहा था कि राज्य सरकार जांच के लिए पर्याप्त नमूने नहीं भेज रही है। संस्थान की निदेशक डॉ शांता दत्ता ने हाल में कहा था, यह बड़ी खामी है। पिछले हफ्ते हमें हर दिन 20 नमूने भी प्राप्त नहीं हो रहे थे। कितने सैंपल भेज जाएंगे इसका फैसला राज्य सरकार करती है,इसकारण अगर वे और नमूने भेजेंगे तो हम ज्यादा जांच कर पाएंगे। मेरे विचार में नमूनों को अनुशंसा के अनुरूप एकत्र नहीं किया जा रहा।
इसलिए बंगाल में हो रही जांच भी कम है। जांच किट के अभाव को लेकर मुख्यमंत्री ममता की शिकायत पर उन्होंने कहा कि आईसीएमआर ने अभी तक एनआईसीईडी को 42,500 किट भेजी हैं और कोई कमी नहीं है। राज्य के मुख्य सचिव राजीव सिन्हा के मुताबिक शनिवार तक कुल 4,630 नमूनों की जांच की गई और पश्चिम बंगाल में अब हर दिन 400 जांच की जा रही हैं। वहीं 11 अप्रैल तक, सर्वाधिक प्रभावित महाराष्ट्र में 31,841 नमूनों, राजस्थान में 24,817, केरल में 14,163 और दिल्ली में 11,709 नमूनों की जांच की गई है। बंगाल सरकार ने शनिवार को कहा था कि राज्य में संक्रमण के कुल 233 मामले हैं जबकि केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की वेबसाइट संक्रमितों की संख्या 287 बताती है।
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कोरोना जांच को लेकर बंगाल में विवाद, आंकड़े छुपा रही ममता सरकार आईसीएमआर ने कहा, हर दिन 20 नमूने भी नहीं आ रहे