सिडनी । विशेषज्ञों ने कोरोना वायरस के खतरों को लेकर नई चेतावनी दी है। उनका कहना है कि इस त्रासदी से दुनियाभर के लोगों की मानसिक सेहत पर खराब असर पड़ सकता है। ऐसा होने पर इसका प्रभाव लंबे समय तक रहेगा। दरअसल, न्यूरोसाइंटिस्ट, मनोचिकित्सक और मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि लोगों की मानसिक स्थिति पर कोई असर न पड़े, इसके लिए कदम उठाए जाने चाहिए। सभी देशों को इस दिशा में लक्षण आधारित इलाज और रिसर्च को बढ़ावा देना शुरू कर देना चाहिए। मानसिक विकार से जुड़े ऐसे मामलों की दुनियाभर में एक साथ निगरानी की व्यवस्था होनी चाहिए।
इस संबंध में ग्लास्गो यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर रोरी ओकॉनर का कहना है कि शराब, नशे की लत, जुआ, साइबर बुलिंग, रिश्ते टूटना, बेघर होने की वजह से चिंता और डिप्रेशन से असामान्य व्यवहार जैसे लक्षणों वाले लोगों की अनदेखी से आगे समस्या और विकराल हो सकती है। ऐसी समस्याओं को नजरअंदाज करने से न केवल लोगों का जीवन, बल्कि समाज भी प्रभावित हुए बैगर नहीं रहेगा। ऐसे लोगों पर नजर रखने की जरूरत है, जो गंभीर रूप से डिप्रेशन में हैं, या उनमें आत्मघाती कदम उठाने के विचार आते हैं। इनकी निगरानी के लिए मोबाइल फोन से जुड़ी नई तकनीकों को इस्तेमाल करने की जरूरत है। कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर एड बुलमोर कहते हैं कि हमें डिजिटल संसाधनों का पूरी क्षमता से उपयोग करना होगा। लोगों के मानसिक स्वास्थ्य को जांचने के लिए बेहतर और स्मार्ट तरीके खोजने होंगे। ऐसा करके ही हम इस चुनौती का सामना कर पाएंगे।
दरअसल, ब्रिटेन की संस्था ‘लैंसेट साइकेट्री’ ने मार्च अंत में 1,099 लोगों का सर्वे किया था। इसके नतीजों से पता चला था कि लॉकडाउन और आइसोलेशन में रहने से लोगों में कारोबार डूबने, नौकरी जाने और बेघर होने तक का खौफ पैदा हो गया है। इंडियन साइकियाट्रिक सोसायटी के एक अध्ययन के अनुसार, कोरोना वायरस के आने के बाद देश में मानसिक रोगों से पीड़ित मरीजों की संख्या 15 से 20 फीसदी तक बढ़ गई है। दुनियाभर में सभी स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं में केवल 1 प्रतिशत हेल्थ वर्कर्स ही मानसिक स्वास्थ्य के उपचार देने संबंधी व्यवस्थाओं से जुड़े हैं। भारत में इसका आंकड़ा और भी कम है।
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मनोवैज्ञनिकों की चेतावनी-कोरोना का संक्रमण दिमाग पर भी डालेगा बुरा असर