नई दिल्ली । भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) को कोविड-19 के इलाज के लिए प्लाज्मा थैरेपी का इस्तेमाल करने में कई भारतीय संस्थानों ने रुचि दिखाई है। परिषद को ऐसे 99 संस्थानों के आवेदन मिले हैं, जो इलाज को और अधिक नियंत्रित व सुरक्षित वातावरण में प्रयोग करके देखने में सहयोग करने के इच्छुक हैं। उल्लेखनीय है कि प्लाज्मा थैरेपी में कोरोना वायरस के संकरमण से ठीक हो चुके मरीजों के खून से एंटीबॉडीज ली जाती हैं। फिर इनके जरिए कोरोना के मरीज का इलाज किया जाता है।
आसीएमआर ने विगत 12 अप्रैल को कोविड-19 के इलाज के लिए प्लाज्मा विधि पर शोध के लिए घोषणा करके इच्छुक संस्थानों से संपर्क करने को कहा था। परिषद का कहना है कि उन्हें अब तक इस संबंध में 99 संस्थानों के आवेदन मिले हैं जो इस शोध का हिस्सा बनना चाहते हैं। जो भी संस्थान ऐसा करना चाहते हैं, उनके लिए स्थानीय कमेटी से मंजूरी लेना अनिवार्य है। यह मंजूरी संस्थान की एथिक्स कमेटी देगी।
आवेदनों के जरिए आइसीएमआर आठ संस्थानों के साथ मिलकर इस शोध पर काम करेगा। फिलहाल नैदानिक शोध के इतर आइसीएमआर प्लाज्मा थेरेपी के विकल्प की सिफारिश नहीं करता है। इस थैरेपी में कोविड-19 से ठीक हो चुके मरीजों के खून से एंटीबॉडीज ली जाती हैं। फिर इनके जरिए कोरोना के मरीज का इलाज किया जाता है।
कोविड-19 महामारी के भारत में अत्यधिक बढ़ने की आशंका को देखते हुए सरकार ने पूरी तैयारी कर ली है। केंद्र सरकार ने ऐसे संकट में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की मदद के लिए डॉक्टरों और अन्य स्वास्थ्य कर्मियों का देशव्यापी डाटाबेस तैयार किया है। एक आधिकारिक बयान में बताया गया है कि डॉक्टरों के विशाल समूह में आयुष डॉक्टर, नर्स और अन्य स्वास्थ्य कर्मी होंगे जिनकी पहचान और उपलब्धता आवश्यकता पड़ने पर राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को कराई जाएगी।
इसके ब्योरे नोडल अधिकारियों के पास होंगे। 1.24 करोड़ कोविड वारियरों में 9.27 लाख एमबीबीएस डॉक्टर, 17.48 लाख नर्से, 2.17 लाख डेंटिस्ट, 11.25 लाख फार्मासिस्ट और 25.43 लाख आंगनवाड़ी कार्यकर्ता हैं। इसके अलावा, कोविड वारियरों का डाटाबेस बैंकों, राशन की दुकानों, मंडी आदि में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराने आदि में इस्तेमाल किया जाएगा।
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प्लाज्मा थेरेपी पर शोध के लिए आइसीएमआर को मिले 99 संस्थानों से आवेदन