जालंधर । संकट हमेशा बुरा करे ऐसा नहीं होता। कभी-कभी संकट ऐसी बड़ी दिक्कतों का खात्मा भी कर देता है, जिसे दूर कर पाना इंसान के बूते की बात नहीं है। अब देखिए न पंजाब आज ड्रग्स की लत से बाहर आ रहा है। प्रदेश में 22 मार्च को हुए लॉकडाउन के बाद नशा तस्करी का ग्राफ गिर गया है। फरवरी में जहां नशा तस्करी के 815 केस दर्ज हुए, वहीं, मार्च में 762 केस सामने आए। अप्रैल महीने अब तक 154 केस दर्ज किए गए यानी केसों में 40 फीसदी के करीब कमी आई है। नशे की बरामदगी में भी 50 फीसदी की कमी आई है। बड़ी बात यह है कि पिछले 25 दिनों में नशे से एक भी मौत का मामला नहीं आया है। इसके पीछे पाकिस्तान बड़ा कारण है। ड्रग्स की खेप वहीं से आती है, मगर इस समय वह भी जान बचाने में लगा है।
दस साल में 25 हजार आत्महत्याएं हुईं
लॉकडाउन के बाद यानी 22 से 31 मार्च तक प्रदेश में तस्करी के केवल 161 केस आए और 237 लोग अरेस्ट हुए। नशे से आत्महत्याओं की बात करें तो 2012 में 4000 से ज्यादा मामले दर्ज किए गए थे। 2013 में 4500 हो गए। एनसीबी के आंकड़े बताते हैं कि भारत में 2007 से लेकर 2017 तक 10 सालों में ड्रग्स से संबंधित 25,000 से ज्यादा आत्महत्याएं हुई थीं। इसमें 74त्न मामले पंजाब से हैं। यूएन के मुताबिक 2017 के दौरान पूरे विश्व में नशे की वजह से 2.6 लाख लोगों की मौत हुई थी। पुलिस अफसरों का कहना है कि भविष्य में सख्ती बरती जाएगी। सीमाओं पर चौकसी बढ़ाई जाएगी।
इस वजह से भी लगी लगाम
गांवों में कोरोना को रोकने को ग्रामीणों ने गांव के एंट्री प्वाइंट्स पर नाके लगाए हुए हैं। वहां 24 घंटे पहरा है। किसी को भी पूरी जांच पड़ताल के बाद ही एंट्री दी जाती है। इसलिए तस्करों के कदम पहले ही रुक जाते हैं। फिर शहरी व ग्रामीण इलाकों में चिट्टा, भुक्की व अफीम की बड़े पैमाने पर तस्करी होती है। लेकिन ठीकरी पहरे के चलते इस पर लगाम लग गई है। लॉकडाउन और कफ्र्यू के चलते ट्रांसपोर्टेशन बंद होने के कारण हिमाचल, हरियाणा, राजस्थान, जम्मू्, मध्यप्रदेश से चिट्टा, भुक्की, अफीम की सप्लाई लेकर आने वाले तस्कर नहीं पहुंच रहे हैं। क्योंकि राज्य की सीमाएं सील हैं
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लॉकडाउन ने पंजाब में कम की ड्रग्स की खपत