नई दिल्ली । कोरोना मरीजों की पहचान और इलाज में एक बड़ी समस्या पीपीई किट की कमी है। पीपीई किट का सही तरीके से उपयोग नहीं करने पर यह वायरस का कारण भी बन सकती है। ऐसे में डिवाइस के सुरक्षित और बेहतर इस्तेमाल के लिए आईआईटी गुवाहाटी के बायोसाइंस और बायोइंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर डॉ विमान बी मंडल ने अपने पीएचडी स्कॉलर विभाष कुमार भुनिया के साथ मिलकर एक स्प्रे तैयार किया है। प्रोफेसर मंडल ने बताया कि कोरोना वायरस से बचाव के लिए सबसे प्राथमिक चीज है मास्क। इसका इस्तेमाल डॉक्टर, हेल्थकेयर प्रोफेशनल और आम लोग करते हैं। मास्क एक तरह से वायरस के लिए बैरियर का काम करता है। यह हमें विभिन्न माइक्रोब्स से बचाता है।
मंडल कहते हैं कि चूंकि मास्क को दोबारा इस्तेमाल भी नहीं किया जा सकता है, इसीलिए इसकी जरूरत अधिक संख्या में है। वहीं, कई बार मास्क का फ्रैब्रिक या सही तरीके इस्तेमाल न करने से भी यह वायरस का वाहक बन जाता है। ऐसे में आईआईटी द्वारा बनाया गया स्प्रे काफी कारगर है। एक तरह से यह स्प्रे अतिरिक्त कोटिंग का काम करता है। इसके जरिए पीपीई किट का दोबारा प्रयोग भी किया जा सकता है। प्रोफेसर मंडल का कहना है कि आईआईटी गुवाहाटी स्प्रे की कीमत काफी वाजिब है, साथ ही इसे इंडस्ट्री के मानकों के अनुरूप तैयार भी किया गया है, ताकि भविष्य में इसकी मैनुफैक्चरिंग में ज्यादा बदलाव नहीं करने पड़े। उन्होंने कहा कि हम अपने डायरेक्टर टी जी सीताराम के नेतृत्व में कोरोना से लड़ाई में लगे हुए हैं।
पीपीई किट को सुरक्षित बनाने के लिए उस पर इस स्प्रे का छिड़काव किया जाता है या फिर उसे लिक्विड में डूबा कर आप प्रयोग कर सकते हैं। एक तरह से आप पीपीई किट या प्रोटेक्टिव गियर पर इस स्प्रे की कोटिंग कर सकते हैं। मंडल ने बताया कि इस एंटीमाइक्रोबियल (एंटीवायरल/एंटीबैक्टीरियल) स्प्रे के संपर्क में आने से बैक्टीरिया का खात्मा हो जाता है। स्प्रे में मौजूद मेटल नैनोपार्टिकल का कॉकटेल जैसे कॉपर, सिल्वर और अन्य एक्टिव तत्वों की मौजूदगी में स्प्रे एंटीमाइक्रोबियल एजेंट के तौर पर काम करता है। इसकी वजह से वायरस न तो पीपीई किट पर एकत्रित हो पाते हैं औऱ न ही उसे भेद पाते हैं। इससे वायरस के सेकेंडरी इंफेक्शन का खतरा काफी कम हो जाता है।
आईआईटी गुवाहाटी के कुछ छात्रों ने स्वचालित स्प्रे वाला एक ऐसा ड्रोन भी विकसित किया है, जिससे काफी बड़े इलाके को एक साथ सैनिटाइज किया जा सकता है। इससे कोरोना वायरस को फैलने से रोकने में मदद मिलेगी। छात्रों के इस समूह का रेसरफ्लाई नाम से एक स्टार्टअप है। इस समूह ने असम और उत्तराखंड सरकार को इस महामारी के खिलाफ लड़ाई में भागीदार बनने का प्रस्ताव दिया। छात्रों का कहना है कि इस ड्रोन से सैनिटाइजेशन का काम महज 15 मिनट में पूरा हो सकता है, जो आमतौर पर एक आदमी डेढ़ दिन में पूरा करता है।
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आईआईटी गुवाहाटी ने तैयार किया स्प्रे, इसे छिड़क कर दोबारा प्रयोग किया जा सकता है मास्क