मुंबई, । मुंबई में एक दिल झकझोड़ देने वाली खबर सामने आई है जब पश्चिमी उपनगर अंधेरी स्थित एक सरकारी अस्पताल में दो संदिग्ध कोरोना वायरस संक्रमितों के शव कई घंटे तक अलग वार्ड में पड़े रहे और किसी ने कोई खबर नहीं ली. इस दौरान वार्ड में अन्य मरीज मौजूद थे. सूत्रों के अनुसार संक्रमित होने के डर से अस्पताल कर्मी उनके शवों को वहां से हटाने को तैयार नहीं थे. इस पूरे प्रकरण के बाद अस्पताल प्रशासन ने आखिरकार गुरुवार शाम चार बजे रिश्तेदारों को उनके शव सौंपे. घटना डॉ.आर.एन.कूपर म्यूनिसिपल जनरल हॉस्पिटल की है. सूत्रों की मानें तो, `अस्पताल कर्मी शवों को बांधने को तैयार नहीं थे. इनमें से एक शव करीब 20 घंटे पृथक वार्ड में पड़ा रहा, वहीं दूसरा शव करीब 10 घंटे. इस दौरान कई अन्य मरीज वार्ड में मौजूद थे.' खबर तूल पकड़ता देख अब अस्पताल प्रशासन ये दावा कर रहा है कि विलंब इसलिए हुआ क्योंकि अन्य अस्पताल कर्मी शवों को वहां से हटाने में अटेंडेंट की मदद करने को तैयार नहीं थे क्योंकि शव संदिग्ध कोविड-19 मरीजों के थे. अस्तपाल के डीन डॉ. पिनाकीन गुज्जर का कहना है कि, `कोविड-19 संक्रमितों के शव अच्छी तरह बांधने होते हैं, जो कोई व्यक्ति किसी दूसरे की मदद के बिना अकेले नहीं कर सकता। संक्रमित होने के डर के कारण दूसरे कर्मी अटेंडेंट की मदद करने को तैयार नहीं थे.' साथ ही उन्होंने स्पष्ट किया कि सुरक्षा उपकरणों या शव को बांधने के सामान की कोई कमी नहीं है. बहरहाल कारण जो भी रहा हो लेकिन ये साफ समझ में आ रहा है कि अबतक अस्पतालों में संसाधनों की कमी है जिसे सरकार पूरा नहीं कर पा रही है.
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मुंबई के सरकारी अस्पताल में जब कई घंटों तक लावारिस पड़े रहे कोरोना संक्रमितों के शव