मुंबई, । मध्य रेल ने कोरोना वायरस के मद्देनजर आइसोलेशन/क्वरांटीन वार्डों में 482 कोचों के अपने लक्ष्य को पूरा करने के बाद, अब, फ्रंटलाइन स्टाफ के लिए- डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ के लिए सबसे जरूरी निवारक उपकरण निर्माण करने के लिए कमर कस ली है। भारतीय रेलवे द्वारा उत्पादन के लिए लक्षित 1.5 लाख में से मध्य रेल 25,000 व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई) बनाएगा। यह पीपीई उत्तर रेलवे द्वारा प्रस्तुत नमूने के डीआरडीओ द्वारा अनुमोदित मानक और विनिर्देश के अनुसार होगा। कच्चे माल को सरकार द्वारा अनुमोदित आपूर्तिकर्ताओं से लिया जाएगा, रेलवे द्वारा बनाए गए प्रत्येक का ४२२ रुपया जीएसटी सहित, जबकि यह बाजार में ८०८.५० रुपया में उपलब्ध है। मध्य रेल द्वारा पीपीईएस का निर्माण स्वयं एक बहुत बड़ा काम होगा क्योंकि यह अपने फ्रंटलाइन रेलवे कर्मचारियों को संक्रमित होने से बचाएगा। भारतीय रेलवे कोरोनवायरस के खिलाफ हमारे राष्ट्र की लड़ाई में सबसे आगे रहा है। भारतीय रेलवे द्वारा हाल ही में अपने रेल कोचों को एक जीवनदायी कोविड-तैयार आइसोलेशन/क्वरांटीन वार्डों में वेंटिलेटर के साथ बदलने के लिए रेलवे प्रशासन द्वारा तैयारियों और त्वरित सोच को दर्शाता है। यह निजी सुरक्षा उपकरण कवर मध्य रेल के परेल और माटुंगा कारखानों में तैयार किए गए हैं। परेल रेलवे वर्कशॉप द्वारा कोविड -19 से निपटने के लिए राष्ट्र की तैयारियों में बहुत अधिक योगदान है, हाल ही में कार्यशाला में 50 ऑक्सीजन सिलेंडर ट्रॉलियों का निर्माण किया गया जो मध्य रेल के अस्पतालों को आपूर्ति की गई, जो कि बहुत जरूरी ऑक्सीजन सिलिंडरों के त्वरित संचलन के लिए उपयोग किया जाता है, इसके अलावा आइसोलेशन वार्डों में महत्वपूर्ण कोचों को परिवर्तित करने में इसका महत्वपूर्ण योगदान है। १४० साल पुराने परेल रेलवे वर्कशॉप को विश्व युद्धों के दौरान सशस्त्र बलों को सेवाएं देने का अनूठा गौरव प्राप्त है। अब, यह हमारे राष्ट्र को कोविड-19 से सामना करने में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है।
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मध्य रेल २५,000 पीपीई किट का उत्पादन करेगा