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 जम्मू-कश्मीर प्रशासन का बड़ा फैसला, घाटी में 28 लोगों से हटा जन सुरक्षा कानून  पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी अध्यक्ष महबूबा को राहत नहीं 

 जम्मू-कश्मीर प्रशासन का बड़ा फैसला, घाटी में 28 लोगों से हटा जन सुरक्षा कानून  पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी अध्यक्ष महबूबा को राहत नहीं 

श्रीनगर । जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने केन्द्र शासित प्रदेश और उससे बाहर जेलों में बंद 28 लोगों पर से जन सुरक्षा कानून (पीएसए) हटा दिया है। शनिवार को प्रशासन की ओर से जारी बयान में कहा गया कि जिन लोगों के ऊपर से पीएसए हटाया गया है,उसमें कश्मीर व्यापार और विनिर्माण संघ (केटीएमएफ) और कश्मीर इकॉनोमिक अलायंस (केईए) के मुखिया मोहम्मद यासीन खान का नाम भी शामिल है।मोदी सरकार ने पिछले साल 5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर से विशेष दर्जा वापस लेकर दो केन्द्र शासित प्रदेशों में बांट दिया था,इसके बाद मुख्यधारा के नेताओं सहित राज्य में सैकड़ों लोगों को पीएसए कानून के तहत हिरासत में लिया गया था।इसमें जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्रियों फारूक और उमर अब्दुल्ला सहित कई लोगों को हाल ही में रिहा किया गया है। हालांकि मुख्यधारा के कई अन्य नेता अभी भी हिरासत में हैं, जिनमें पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती, नैशनल कॉन्फ्रेंस के महासचिव अली मोहम्मद सागर और पूर्व मंत्री नईम अख्तर शामिल हैं।
नैशनल कॉन्फ्रेंस के कार्यकारी अध्यक्ष उमर अब्दुल्ला को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के फैसले के साथ ही हिरासत में ले लिया गया था। करीब आठ महीने तक कैद में रहने के बाद उमर अब्दुल्ला को 24 मार्च को रिहा कर दिया गया। रिहा होने के बाद उमर ने महबूबा और अन्य नेताओं को भी रिहा किए जाने की मांग की थी। जन सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) उन लोगों पर लगाया जा सकता है, जिन्हें सुरक्षा और शांति के लिए खतरा माना जाता हो। 1978 में शेख अब्दुल्ला ने इस कानून को लागू किया था। 2010 में इसमें संशोधन किया गया था, जिसके तहत बगैर ट्रायल के ही कम से कम 6 महीने तक जेल में रखा जा सकता है। राज्य सरकार चाहे तब इस अवधि को बढ़ाकर दो साल तक भी किया जा सकता है। 
 

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