भोपाल । कोविड-19 वैश्विक महामारी के चलते लॉकडाउन का असर सबसे ज्यादा असर दिहाड़ी मजदूरों पर पड़ा है। उनका रोजगार पूरी तरह छिन चुका है, लेकिन मनरेगा ने मजदूरों के चेहरे पर एक बार फिर मुस्कान लौटाने का काम किया है। इस योजना के तहत श्रमिकों को रोजगार देने के उद्देश्य से प्रदेश की 19,528 ग्राम पंचायतों में कार्य शुरू कर दिया है।
लॉकडाउन में ग्रामीण क्षेत्रों में रोजी-रोटी के संकट को देखते हुए मप्र सरकार ने ग्राम पंचायतों में मनरेगा के तहत काम शुरू करने की अनुमति दे दी है। इसका असर दिखाई पड़ रहा है। कोरोना महामारी के चलते एक तरफ जहां लाखों मजदूरों पर रोजी-रोटी की संकट बनी हुई है। वहीं, दूसरी ओर मनरेगा के तहत प्रदेश के साढ़े चार लाख मजदूर को रोजगार दिया गया है।
-साढ़े चार लाख को रोजगार
पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, प्रदेश में महात्मा गांधी नरेगा योजना के माध्यम से साढ़े चार लाख से अधिक मजदूरों को रोजगार मुहैया कराया जा रहा है। प्रदेश की 19 हजार 528 ग्राम पंचायतों में 84 हजार 246 रोजगार-मूलक कार्य संचालित हैं। कोरोना संक्रमण को ध्यान में रखते हुए श्रमिकों को स्व-सहायता समूहों द्वारा बनाए गए होम-मेड मास्क दिए गए हैं। साथ ही, सोशल डिस्टेंसिंग का भी पालन कड़ाई से किया जा रहा है।
-काम के साथ कोरोना से बचाव भी
प्रदेश में मनरेगा के तहत जारी कार्यों में कोरोना वायरस से बचाव के लिए आवश्यक सुविधाओं का भी विशेष ध्यान रखा जा रहा है। सरपंच व मेट के माध्यम से यह सुनिश्चित किया जाएगा कि मजदूर कार्यस्थल पर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें, मुंह को मास्क या कपड़े से ढककर रखें और अपने हाथ साबुन से धोएं। इसके अलावा, यह भी सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं कि मौके पर तंबाकू, बीड़ी या गुटखे का प्रयोग न हो।
-मनरेगा कार्य पकड़ रहे रफ्तार
लॉकडाउन से छूट मिलने के बाद मनरेगा के तहत कामों में तेजी आ गई है। प्रदेश की 19,528 ग्राम पंचायतों में मनरेगा के तहत काम शुरू हो गए हैं। बाहरी प्रदेशों से आए मजदूरों को काम देने और जॉब कार्ड बनाने का काम भी तेजी से चल रहा है। कई जिलों में रोजगार गारंटी योजना के तहत काम दिया जा रहा है। मनरेगा के तहत ग्राम पंचायतों में तालाब खुदाई, गहरीकरण समेत जल संवर्धन के तमाम काम कराए जा रहे हैं। वहीं सरकार ने मजदूरों की मजदूरी दर में भी इजाफा किया है। पहले मजदूरों को 182 रुपए रोज के हिसाब से मजदूरी दी जाती थी, लेकिन अब 202 रुपए रोज के हिसाब से मजदूरी का भुगतान किया जा रहा है।
इनका कहना है
-कोरोना संक्रमण में ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार की मांग व्यापक स्तर पर की जा रही थी। राज्य सरकार ने ग्रामीणों की मांग की गंभीरता को देखते हुए कार्य तुरंत शुरू कराए हैं। कार्य स्थलों पर कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए सभी आवश्यक व्यवस्थाएं सुनिचित की गई हैं। सभी जिला पंचायतों के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों की देखरेख में कार्य संचालित किए जा रहे हैं।
मनोज श्रीवास्तव, अपर मुख्य सचिव, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग
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लॉकडाउन में रोजगार छिना तो मनरेगा से श्रमिकों की लौटी मुस्कान 19,528 पंचायतों में साढ़े 4 लाख मजदूरों को मिला रोजगार