नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 66 A को अप्रभावी कर दिया है। इस निर्णय से अब व्हाट्सएप ग्रुप एडमिन की गिरफ्तारी नहीं होगी। धारा 66 A ऐसा नियम है जो पुलिस को सोशल नेटवर्किंग साइटों पर कथित रूप से ‘आपत्तिजनक सामग्री’ पोस्ट करने पर एक व्यक्ति को गिरफ्तार करने का अधिकार देता है। जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए जस्टिस जे चेलमेश्वर और आएएफ नरीमन की खंडपीठ ने इस धारा को मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करने वाला बताया है। साथ ही इस धारा को अभिव्यक्ति की आजादी का अधिकार छिनने वाला बताया इसलिए इस धारा को गैरकानूनी बताते हुए इस अप्रभावी कर दिया।
जस्टिस जे चेलमेश्वर और जस्टिस फली नरीमन की शीर्ष अदालत की पीठ ने कहा, “आईटी अधिनियम की धारा 66-ए पूरी तरह से समाप्त हो गई है। हमारा संविधान विचार, अभिव्यक्ति और विश्वास की स्वतंत्रता प्रदान करता है। लोकतंत्र में, इन मूल्यों को संवैधानिक योजना के तहत प्रदान किया जाना है।” हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने आईटी अधिनियम के दो अन्य प्रावधानों को रद्द करने से इनकार कर दिया, जो वेबसाइटों को अवरुद्ध करते हैं।
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अब नहीं होगी व्हाट्सएप ग्रुप एडमिन की गिरफ्तारी, सुको ने 66 A को अप्रभावी किया